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भारत ने अमेरिकी टिप्पणी को बताया गैरजरूरी, शाह पर बैन लगाने की मांग की थी

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Published : Dec 10, 2019, 10:57 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 6:20 PM IST

अमेरिका की एक संस्था ने भारतीय नागरिकता संशोधन बिल पर अपनी टिप्पणी की है. अमेरिकी संस्था (USCIRF) का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल एक गलत कदम है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनकी पूरी टिप्पणी को खारिज कर दिया है. जानें पूरा विवरण...

USA seeks sanctions against shah
जिडाइन फोटो

वाशिंगटन/नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) 'गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम' है. USCIRF ने कहा है कि यदि CAB भारत की संसद में पारित होता है, तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनकी टिप्पणी को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि USCIRF द्वारा कही गई ये बातें पूरी तरह से गलत हैं. आयोग की पिछली स्थिति को देखते हुए इससे हमें जरा भी हैरानी नहीं है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि आयोग ने जो भी बातें कही हैं, उसमें कोई सच्चाई नहीं है. यह भारत का आंतरिक मामला है. एक विशेष स्थिति से निपटने के लिए कानून बनाया जा रहा है. इससे किसी को भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.

साथ ही मंत्रालय ने USCIRF की प्रतिक्रिया को निराशाजनक बताते हुए कहा कि हमें इस बात का अफसोस है कि आयोग अपने पूर्वाग्रहों से ही मामले पर बात कर रहा है. जबकि उसे इस मामले से संबंधित पर्याप्त जानकारी भी नहीं है.

लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.

अमेरिकी आयोग ने कहा, 'अगर कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए.'

उसने कहा, 'अमित शाह द्वारा पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है.'

नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे लोकसभा से मंजूरी दे दी गई. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा था कि यह भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है तथा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के 130 करोड़ लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाकर इसकी मंजूरी दी है.

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हालांकि इसका विरोध किया.

यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि कैब आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है. इस तरह यह विधेयक नागरिकता के लिए धर्म के आधार पर कानूनी मानदंड निर्धारित करता है.

उसने कहा, 'कैब गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है. यह भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलवाद के समृद्ध इतिहास और भारतीय संविधान का विरोधाभासी है जो धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है.'

आयोग ने असम में चल रही राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया और गृह मंत्री शाह द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के बारे में कहा, 'यूएससीआईआरएफ को यह डर है कि भारत सरकार भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक परीक्षण के हालात पैदा कर रही है जिससे लाखों मुस्लिमों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है.'

उसने यह भी कहा कि भारत सरकार करीब एक दशक से अधिक समय से यूएससीआईआरएफ के वक्तव्यों और वार्षिक रिपोर्टों को नजरअंदाज कर रही है.

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) शासन के दिनों से ही भारत लगातार कहता आ रहा है कि वह अपने आतंरिक मामलों में किसी तीसरे देश के विचारों या रिपोर्ट को मान्यता नहीं देता है.

Last Updated : Dec 10, 2019, 6:20 PM IST

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