संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2001 के एतिहासिक लेकिन विवादास्पद नस्लवाद विरोधी सम्मेलन की स्मृति में वर्षगांठ बैठक आयोजित कर दुनिया भर में नस्लवाद से निपटने के लिए प्रयासों को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई लेकिन इस पर एक बार फिर मतभेद देखने को मिले.
दक्षिण अफ्रीका के डरबन में दो दशक पहले हुए सम्मेलन को याद करते हुए, महासभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव को स्वीकार किया जिसमें कुछ प्रगतियों को स्वीकार किया गया लेकिन अफ्रीकी विरासत और कई अन्य समूहों जैसे रोमा शरणार्थियों के खिलाफ, युवा से लेकर बूढ़ों तक, विकलांग लोगों से लेकर विस्थापित हुए लोगों को निशाना बनाकर किए जाने वाले भेदभाव, हिंसा और असहिष्णुता में वृद्धि की निंदा की.
अफ्रीकी विरासत वाले लोगों के लिए मुआवजे और नस्ली न्याय पर केंद्रित एक बैठक में, महासभा ने गुलामी, उपनिवेशवाद और नरसंहार के प्रभावों की ओर इशारा किया और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अफ्रीकी मूल के लोग राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से 'पर्याप्त हर्जाना या संतुष्टि' प्राप्त कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें - नस्लवाद, जलवायु परिवर्तन और विभाजन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में होगी चर्चा