टोरंटो : जुलाई में अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद से, तालिबान ने तेजी से देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है. राष्ट्रपति भाग गए हैं और सरकार गिर गई है.
उनकी सफलता, अफगान बलों द्वारा प्रतिरोध की कमी और न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय दबाव से उत्साहित तालिबान ने अपनी हिंसा तेज कर दी है. अफगान महिलाओं के लिए उनकी बढ़ती ताकत भयावह है.
मैकगिल यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर वृंदा नारायण के मुताबिक जुलाई की शुरुआत में, बदख्शां और तखर के प्रांतों पर नियंत्रण करने वाले तालिबान नेताओं ने स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ 'विवाह' के लिए 15 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 वर्ष से कम उम्र की विधवाओं की सूची प्रदान करने का आदेश जारी किया. अभी यह मालूम नहीं हो सका है कि उनके हुक्म की तामील हुई है या नहीं.
यदि ये जबरन विवाह होते हैं, तो महिलाओं और लड़कियों को पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान ले जाया जाएगा और फिर से तालीम देकर 'प्रामाणिक इस्लाम' में परिवर्तित किया जाएगा.
नौ लाख लोग विस्थापित
इस आदेश ने इन क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और उनके परिवारों में गहरा भय पैदा कर दिया है और उन्हें आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल होने और पलायन करने के लिए मजबूर किया है. अफगानिस्तान में मानवीय आपदा अपने पैर पसार रही है और पिछले तीन महीनों में ही 900,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
तालिबान का यह निर्देश इस बात की कड़ी चेतावनी देता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है और 1996-2001 के तालिबान के क्रूर शासन की याद दिलाता है जब महिलाओं को लगातार मानवाधिकारों के उल्लंघन, रोजगार और शिक्षा से वंचित किया गया, बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया और एक पुरुष 'संरक्षक' या महरम के बिना उनके घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई.
यह दावा करने के बावजूद कि उन्होंने महिलाओं के अधिकारों पर अपना रुख बदल लिया है, तालिबान के हालिया कार्यों और हजारों महिलाओं को यौन दासता की ओर ढकेलने के यह ताजा इरादे उसके दावों के खिलाफ नजर आते हैं.
इसके अलावा, तालिबान ने 12 साल की उम्र के बाद लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने, महिलाओं को रोजगार से प्रतिबंधित करने और महिलाओं को एक संरक्षक के साथ घर से निकलने की आवश्यकता वाले कानून को बहाल करने के अपने इरादे का संकेत दिया है.
मैकगिल यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर वृंदा नारायण के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में अफगान महिलाओं द्वारा प्राप्त लाभ खतरे में हैं, जिनमें विशेष रूप से शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी शामिल हैं. तालिबान में शामिल होने के लिए आतंकवादियों को लुभाने के उद्देश्य से 'पत्नियों' की पेशकश करना एक रणनीति है. यह यौन दासता है, शादी नहीं, और शादी की आड़ में महिलाओं को यौन दासता में झोंकना युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध दोनों है.