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अफगानिस्तान के सैन्य अड्डों पर तालिबान के हमले, शांति वार्ता पर खतरे के बादल

अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को दोहा में शांति समझौता पर वार्ता हुई. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के सैन्य अड्डों पर दर्जनों हमले किए गए हैं. इन हमलों के बाद काबुल और विद्रोहियों के बीच होने वाली शांति वार्ता पर सवाल उठ रहे हैं.

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फाइल फोटो

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Published : Mar 4, 2020, 10:12 AM IST

काबुल : तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के सैन्य अड्डों पर दर्जनों हमलों के बाद काबुल और विद्रोहियों के बीच होने वाली शांति वार्ता पर सवाल उठ रहे हैं. सीमित युद्धविराम संधि के समाप्त होने के कुछ घंटे बाद ही ये हमले किए गए थे. अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को दोहा में हुए शांति समझौते के अनुसार अंतर-अफगानिस्तान वार्ता 10 मार्च को होनी है, लेकिन कैदियों की अदला-बदली ने इसके होने ना होने पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते में अफगान सरकार द्वारा पांच हजार तालिबान कैदियों की रिहाई की बात थी. तालिबान 1,000 कैदियों को रिहा करेगा.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि किसी भी कैदी की रिहाई उनकी सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक निर्णय है और वह बातचीत शुरू होने से पहले कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे.

गनी ने कहा था, 'कैदियों की रिहाई के लिए अमेरिका ने अनुरोध किया था और यह वार्ता का हिस्सा हो सकता है लेकिन यह एक पूर्व शर्त नहीं हो सकती है.'

इसके बाद सोमवार को तालिबान द्वारा सीमित युद्धविराम संधि को समाप्त करने के बाद दोनों के बीच वार्ता की राह में मुश्किलें नजर आ रही हैं.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने बताया कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 16 में पिछले 24 घंटे में 33 हमले किए.

उन्होंने कहा, 'इसमें छह लोग मारे गए और 14 अन्य घायल हो गए. आठ दुश्मन मारे गए और 15 घायल हुए हैं.'

काबुल के एक विश्लेषक अहमद सईदी ने 'एएफपी' से कहा कि हमलों से स्पष्ट है कि तालिबान का मानना है कि वार्ता में सफलता पाने के लिए हमले जारी रखना जरूरी है, जैसा कि उन्होंने अमेरिका के साथ किया था.

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इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान मिशन ने 'अंतर-अफगानिस्तान वार्ता की शुरुआत के लिए अनुकूल वातावरण को बनाए रखने के लिए हिंसा को कम करने' की अपील की.

गौरतलब है कि अमेरिका और तालिबान के ऐतिहासिक समझौते पर हुए हस्ताक्षर के तहत अमेरिका अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर लेगा और शुरुआती चरण में अगले चार महीनों के अंदर सैनिकों की संख्या वहां 13,000 से घटाकर 8,600 कर दी जाएगी.

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समझौते के तहत पहले 135 दिनों में अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करेगा और इसी अनुपात में अपने सहयोगियों और गठबंधन बलों में भी कटौती करेगा.

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