काबुल : तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के सैन्य अड्डों पर दर्जनों हमलों के बाद काबुल और विद्रोहियों के बीच होने वाली शांति वार्ता पर सवाल उठ रहे हैं. सीमित युद्धविराम संधि के समाप्त होने के कुछ घंटे बाद ही ये हमले किए गए थे. अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को दोहा में हुए शांति समझौते के अनुसार अंतर-अफगानिस्तान वार्ता 10 मार्च को होनी है, लेकिन कैदियों की अदला-बदली ने इसके होने ना होने पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते में अफगान सरकार द्वारा पांच हजार तालिबान कैदियों की रिहाई की बात थी. तालिबान 1,000 कैदियों को रिहा करेगा.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि किसी भी कैदी की रिहाई उनकी सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक निर्णय है और वह बातचीत शुरू होने से पहले कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे.
गनी ने कहा था, 'कैदियों की रिहाई के लिए अमेरिका ने अनुरोध किया था और यह वार्ता का हिस्सा हो सकता है लेकिन यह एक पूर्व शर्त नहीं हो सकती है.'
इसके बाद सोमवार को तालिबान द्वारा सीमित युद्धविराम संधि को समाप्त करने के बाद दोनों के बीच वार्ता की राह में मुश्किलें नजर आ रही हैं.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने बताया कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 16 में पिछले 24 घंटे में 33 हमले किए.