संयुक्त राष्ट्र : रूस ने कोसोवो के प्रतिनिधि को अपने देश के झंडे के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बोलने से पहली बार रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि परिषद के ज्यादातर सदस्य सर्बिया से इसकी आजादी को मान्यता नहीं देते.
संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्रि पॉलिन्स्काई ने कोसोवो पर परिषद की बैठक की शुरुआत में मंगलवार को उसके झंडे पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया जिसके चलते यह डिजिटल बैठक 45 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. इस दौरान परिषद के 15 सदस्यों ने निजी तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा की.
पॉलिन्स्काई ने कहा कि 'सुरक्षा परिषद के 15 में से आठ सदस्य कोसोवो को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं देते हैं' इसलिए कोसोवो की विदेश मंत्री दोनिका गर्वाला के पीछे देश का झंडा नहीं दिखाई देना चाहिए. उन्होंने कहा कि रूस को उनके बोलने पर आपत्ति नहीं है.
पढ़ें -इंडोनेशिया में आफती तूफान से 179 लोगों की मौत, 45 लापता
ब्रिटेन के कानूनी सलाहकार चनाका विक्रमसिंघे ने कहा कि सुरक्षा परिषद की वीडियो कांफ्रेंस से होने वाली बैठकें औपचारिक बैठकें नहीं हैं और कोसोवा का झंडा पिछली बैठक के दौरान भी उसके प्रतिनिधि के पीछे लगा हुआ था.
जब बैठक फिर से शुरू हुई तो सुरक्षा परिषद के मौजूदा अध्यक्ष वियतनाम के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत डांग दिन्ह क्यू ने कहा कि डिजिटल बैठकों की पृष्ठभूमियों से परिषद की बैठकें बाधित नहीं होनी चाहिए और यह झंडा लगा रह सकता है.
गर्वाला संयुक्त राष्ट्र की बैठक में बोलने वाले तीन वक्ताओं में से एक थीं और जब उन्होंने परिषद को संबोधित किया तो कोसोवो का छह सफेद सितारों के साथ नीले रंग का ध्वज उनके पीछे लगा हुआ था.
गौरतलब है कि कोसोवो ने अलगाववादी जातीय अल्बानियाई विद्रोही और सर्बिया की सेना के बीच 1998-1999 के बर्बर युद्ध के एक दशक बाद 2008 में सर्बिया से आजादी की घोषणा की. गत सितंबर तक संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 98 ने कोसोवो को मान्यता दी. सर्बिया के साथ करीबी संबंध रखने वाले रूस और चीन उन देशों में शामिल हैं जिन्होंने इसकी आजादी को मान्यता नहीं दी.