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बाइडेन ने अफगानिस्तान से सैनिकों की पूर्ण वापसी की घोषणा की - अफगानिस्तान से सैनिकों की पूर्ण वापसी

बाइडेन ने कहा कि 11 सितंबर 2001 की घटना के 20 साल पूरे होने से पहले अमेरिकी सैनिकों के साथ नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के देशों और अन्य सहयोगी देशों के सैनिक भी अफगानिस्तान से वापस आयेंगे

US will continue to support the afghan people
जो बाइडेन ने किया एलान

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Published : Apr 15, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Apr 15, 2021, 5:25 PM IST

नई दिल्ली :अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा करते हुए कहा कि इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया जायेगा. व्हाइट हाउस से बुधवार को टेलीविजन के माध्यम से संबोधित कर रहे बाइडेन ने कहा कि 11 सितंबर 2001 की घटना के 20 साल पूरे होने से पहले अमेरिकी सैनिकों के साथ नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के देशों और अन्य सहयोगी देशों के सैनिक भी अफगानिस्तान से वापस आयेंगे.

बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से फोन पर बात भी की थी. इस बारे में अशरफ गनी ने ट्वीट भी किया है. ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि आज रात, मुझे राष्ट्रपति बाइडेन का फोन आया था, जिसमें हमने सितंबर की शुरुआत में अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस लेने के अमेरिकी फैसले पर चर्चा की. उन्होंने लिखा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान अमेरिका के इस फैसले का सम्मान करता है और हम अपने अमेरिकी साझेदारों के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण रिश्तों के बीच काम करना सुनिश्चित करेंगे.

इसके बाद बाइडेन ने आर्लिंगटन नेशनल सिमेट्री (सैन्य स्मारक) जाकर, अफगानिस्तान युद्ध में जान गंवाने वाले अमेरिकी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. न्यूयॉर्क में 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादी हमले के बाद, 2001 में ही अफगानिस्तान में अल कायदा के आतंकवादियों के खिलाफ जंग शुरू हुई थी. सैन्य स्मारक पर एक सवाल के जवाब में बाइडेन ने कहा कि सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला कोई कड़ा निर्णय नहीं है. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बाइडेन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ उनका प्रशासन हमेशा सतर्क और सचेत रहेगा.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति और भविष्य में स्थिरता के लिए भारत, पाकिस्तान, रूस, चीन और तुर्की की अहम भूमिका है. युद्धग्रस्त देश में शांति बनाये रखने में इन देशों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. अपने संबोधन में बाइडेन ने कहा कि हम लोग क्षेत्र में अन्य देशों से अफगानिस्तान के समर्थन में और अधिक सहयोग के लिए कहेंगे. विशेषकर पाकिस्तान, रूस, चीन, भारत और तुर्की से क्योंकि इन सभी देशों की अफगानिस्तान के स्थिर भविष्य में अहम भूमिका है.

हालांकि, विशेषज्ञों ने अमेरिका और नाटो के सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाये जाने के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा है कि क्षेत्र में तालिबान का फिर से पांव पसारना और अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवादियों द्वारा पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाना भारत के लिए चिंता का विषय होगा. पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रपति की उपसलाहकार और 2017-2021 के लिए दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों में एनएससी की वरिष्ठ निदेशक रहीं लीज़ा कर्टिस ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाये जाने से क्षेत्र के देश, खासकर भारत देश में तालिबान के फिर से उभरने को लेकर चिंता होगी.

कर्टिस वर्तमान में सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (सीएनएएस) थिंक-टैंक में हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की सीनियर फेलो और निदेशक हैं. अमेरिका के लिए पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और वर्तमान में हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में निदेशक हुसैन हक्कानी ने कहा कि तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्र के फिर से आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनने से भारत चिंतित होगा. उन्होंने कहा कि वास्तविक सवाल यह है कि क्या सैनिकों को वापस बुलाये जाने के बाद भी अमेरिका अफगानिस्तान सरकार को मदद जारी रखेगा ताकि वहां के लोग तालिबान का मुकाबला करने में सक्षम हों.

पढ़ें:अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ अफगान शांति प्रक्रिया पर चर्चा की

तालिबान ने अब तक शांति प्रक्रिया में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है और दोहा में हुई वार्ताओं में उसने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की बात को ही दोहराया है. वाशिंगटन पोस्ट ने अपने संपादकीय में कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की बाइडेन की योजना क्षेत्र के लिए घातक हो सकती है.

Last Updated : Apr 15, 2021, 5:25 PM IST

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