टोरंटो : प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau ) ने सोमवार को कहा कि एक स्कूल परिसर में 200 से अधिक बच्चों के शव दफन पाए जाने की घटना इस तरह की इकलौती घटना नहीं है. इस स्कूल को कभी कनाडा का सबसे बड़ा आवासीय विद्यालय माना जाता था.
इस घटना के सामने आने के बाद सामुदायिक नेताओं ने मांग की कि हर उस स्थान की जांच की जाए जहां कभी कोई आवासीय स्कूल रहा हो. इसी की पृष्ठभूमि में ट्रूडो ने यह टिप्पणी की.
ब्रिटिश कोलंबिया के सैलिश भाषा बोलने वाले एक समूह फर्स्ट नेशन की प्रमुख रोसेन कैसमिर ने कहा कि जमीन के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने वाले रडार की मदद से 215 बच्चों के शव मिले. इनमें कुछ तीन वर्ष की उम्र के बच्चों के शव हैं. उन्होंने शुक्रवार को बताया कि और शव मिल सकते हैं क्योंकि स्कूल के मैदान पर और हिस्सों की तलाशी ली जानी है.
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उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी क्षति है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती और कैमलूप्स इंडियन रेजीडेंशियल स्कूल के दस्तावेजों में कभी इसका जिक्र नहीं किया गया.
ट्रूडो ने कहा, 'प्रधानमंत्री के तौर पर उस शर्मनाक नीति के कारण स्तब्ध हूं जिसमें देश के बच्चों को उनके समुदायों से चुरा लिया जाता है. दुख की बात तो यह है कि यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'हमें सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा. आवासीय विद्यालय हमारे देश में एक सच्चाई है-एक त्रासदी हैं. बच्चों को उनके परिवारों से ले लिया जाता है और या तो उन्हें लौटाया ही नहीं जाता या फिर बुरी हालत में लौटाया जाता है.'
गौरतलब है कि 19वीं सदी से 1970 के दशक तक फर्स्ट नेशन के 1,50,000 से अधिक बच्चों को कनाडाई समाज में अपनाने के कार्यक्रम के तौर पर सरकार के वित्त पोषण वाले ईसाई स्कूलों में पढ़ना होता था। उन्हें ईसाई धर्म ग्रहण करने के लिए विवश किया जाता और अपनी मातृ भाषा बोलने नहीं दी जाती थी. कई बच्चों को पीटा जाता था तथा उन्हें अपशब्द कहे जाते और ऐसा बताया जाता है कि उस दौरान 6,000 बच्चों की मौत हो गयी थी.
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ट्रूथ एंड रिकांसिलिएशन कमीशन ने पांच वर्ष पहले संस्थान में बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर विस्तृत रिपोर्ट दी थी. वहीं कनाडा सरकार ने 2008 में संसद में माफी मांगी थी और स्कूलों में बच्चों के शारीरिक तथा यौन शोषण की बात स्वीकार की थी. ट्रूडो ने कहा कि वह अपने मंत्रियों से बात करेंगे कि समुदाय तथा जीवित बचे लोगों को मदद देने के लिए उनकी सरकार क्या कर सकती है.
विपक्ष के नेता जगमीत सिंह ने सोमवार को संसद में आपात बहस की मांग की. उन्होंने कहा, 'इसमें हैरानी की बात नहीं है. आवासीय विद्यालयों की यही वास्तविकता है.' कैमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक संचालित हुआ था. इसके बाद संघीय सरकार ने कैथलिक चर्च से इसका संचालन अपने हाथों में ले लिया. यह स्कूल 1978 में बंद हो गया था.
(पीटीआई -भाषा)