नई दिल्ली : माडर्ना ने मंगलवार को दावा किया कि उसका कोविड-19 रोधी टीका वयस्कों के साथ ही उन बच्चों पर भी प्रभावी है जो 12 साल के हो चुके हैं. इसके साथ ही यह टीका इस आयुवर्ग के लिए अमेरिका में टीके का दूसरा विकल्प बनने की राह पर है.
टीकों की वैश्विक आपूर्ति की कमी अब भी बरकरार है और दुनिया के अधिकांश देश महामारी से बचाव के लिए वयस्कों के टीकाकरण में संघर्ष कर रहे हैं. अमेरिका और कनाडा ने हालांकि इस महीने की शुरुआत में एक अन्य टीके- फाइजर और बायोएनटेक द्वारा निर्मित- को 12 साल के आयुवर्ग से ज्यादा की उम्र के लोगों को देने की मंजूरी दी थी.
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माडर्ना इस मंजूरी के लिए कतार में है और उसने कहा कि वह अगले महीने की शुरुआत में किशोरों से संबंधित अपने आंकड़ों को अमेरिकी खाद्य एवं औषध प्रशासन तथा अन्य वैश्विक नियामकों को सौंपेगा.
कंपनी ने 12 से 17 वर्ष के आयुवर्ग के 3700 बच्चों पर अध्ययन किया. शुरुआती नतीजों में नजर आया कि टीका वयस्कों की तरह ही किशोरों के प्रतिरोधी तंत्र की सुरक्षा पर काम करता है और बांह में सूजन, सिरदर्द और थकान जैसे उसी तरह के अस्थायी दुष्प्रभाव भी नजर आते हैं.
माडर्ना टीके की दो खुराक लेने वालों में कोविड-19 नहीं मिला जबकि जिन बच्चों को डमी टीके लगाए गए थे उनमें चार मामले मिले. कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पहली खुराक के दो हफ्तों बाद 93 प्रतिशत प्रभावी रही.
इस बारे में मॉडर्न के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन बैंसेल ने कहा कि किशोरों में कोविड -19 वैक्सीन (mRNA-1273) इसे रोकने में अत्यधिक प्रभावी था. उन्होंने कहा कि मॉडर्न कोविड-19 वैक्सीन सार्स-कोव-2 संक्रमण को रोक सकता है. बैंसेल ने कहा कि कंपनी जून की शुरुआत में इन आंकड़ों को वैश्विक स्तर पर नियामकों को सौंपने की योजना बना रही है.
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वयस्कों की तुलना में बच्चों में कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार पड़ने का जोखिम काफी कम रहता है, लेकिन वे देश के कोरोनावायरस मामलों के 14 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स के आंकड़ों के मुताबिक अकेले अमेरिका में कम के कम 316 बच्चों की मौत हो चुकी है.
नियामक से मंजूरी मिलने के बाद अमेरिका में बड़ी संख्या में किशोर फाइजर का टीका लगवाने के लिए टीकाकरण केंद्र पहुंच रहे हैं. प्रयास यह है कि अगले शैक्षणिक सत्र से पहले अधिकाधिक किशोरों का टीकाकरण किया जा सके. फाइजर और माडर्ना दोनों ने 11 वर्ष से लेकर छह महीने तक के बच्चों के टीकाकरण का परीक्षण शुरू किया है.