न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में संघर्ष व हिंसा के परिणामस्वरुप अनुमानित 1.9 करोड़ बच्चे अपने ही देशों में विस्थापित रह रहे हैं. यह संख्या पहले से कहीं अधिक है. इनमें से कुछ तो सालों से इसी अवस्था में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. साल 2019 के अंत तक लगभग 4.6 करोड़ लोग संघर्ष व हिंसा के चलते अपने ही देशों में विस्थापित होकर रह गए. सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लॉस्ट एट होम नामक एक रिपोर्ट को मंगलवार जारी किया गया, जिसके अनुसार, इनमें से दस में से सर्वाधिक चार या 1.9 करोड़ बच्चे ही थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से लाखों आपदाओं के चलते विस्थापित हुए. अपने घरों व समुदायों से मजबूरन बिछड़े इन बच्चों की स्थिति दुनिया में सबसे कमजोर है. वर्तमान समय में कोरोना वायरस महामारी के चलते इनकी जिंदगी और भी अधिक अनिश्चित व चुनौतीपूर्ण है.
यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोरे ने कहा, 'दुनिया भर में लाखों की संख्या में विस्थापित बच्चे पहले से ही उचित देखभाल व पोषण के बिना अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. कोविड-19 जैसे किसी नए संकट के उभरने से ये बच्चे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार और मानवीय संगठन उन्हें स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए साथ में काम करें.'
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आंतरिक रूप से विस्थापित हुए इन बच्चों के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है. इन पर हिंसा, शोषण और तस्करी का खतरा भी कहीं अधिक है. यही नहीं इन पर बाल श्रम, बाल विवाह और पारिवारिक अलगाव का भी खतरा है, जो सीधे तौर पर इनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को चुनौती दे रही है.