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भारत ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर शांतिसैनिकों के लिए प्रौद्योगिकी प्लैटफॉर्म की शुरुआत की

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में प्रौद्योगिकी एवं शांति स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस को संबोधित किया. जयशंकर ने शांति स्थापना के लिए प्रौद्योगिकी मंच 'यूनाइट अवेयर' के क्रियान्वयन में भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र की सहायता की घोषणा की.

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Published : Aug 18, 2021, 10:42 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर बुधवार को शांति अभियानों के लिए 'यूनाइट अवेयर' नामक एक प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म की शुरुआत की जो शांतिसैनिकों को क्षेत्र संबंधी सूचना उपलब्ध कराने पर केंद्रित है.

प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म की शुरुआत ऐसे समय हुई है जब भारत ने अगस्त माह के लिए 15 देशों की सदस्यता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली है.

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई.

बाद में, जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रौद्योगिकी एवं शांति अभियान विषय पर खुली चर्चा में अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी में शांति रक्षा में प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी और नवोन्मेष की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए जो जटिल परिस्थितियों में शांति अभियानों के क्रियान्वयन को संभव बनाए.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संचालन के दृष्टिकोण से उत्कृष्ट, किफायती, व्यापक रूप से उपलब्ध और विश्वसनीय प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देना चाहिए.

जयशंकर सोमवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे जब सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आपात बैठक की. मुद्दे पर यह 10 दिन के भीतर दूसरी बैठक थी.

प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म शांतिसैनिकों को क्षेत्र संबंधी सूचना उपलब्ध कराने पर केंद्रित है जिसका विकास भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान विभाग और संचालन सहायता विभाग के साथ मिलकर किया है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि युद्ध से शांति की ओर जाने वाले कठिन पथ पर बढ़ने के लिए 'संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक' सबसे प्रभावी उपाय सिद्ध हुआ है. जयशंकर ने कर्तव्य निर्वाह करते हुए अपनी जान गंवाने वाले शांतिरक्षकों को यहां संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के बाद यह बयान दिया.

भारतीय विदेश मंत्री के साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी मौजूद थे. जयशंकर ने कहा, 'ऐसे समय जब हम संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, युद्ध से शांति के मार्ग पर बढ़ने के वास्ते मेजबान देशों की सहायता के लिए यूएन के पास शांतिरक्षकों के रूप में सबसे प्रभावी उपाय मौजूद है.'

भारत वर्तमान में सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और इस नाते बुधवार को जयशंकर, 'रक्षकों की रक्षा' के विषय पर तकनीक और शांतिरक्षा पर खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे. सुरक्षा परिषद, लगभग 40 साल में पहली बार, भारत की अध्यक्षता में शांतिरक्षा पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेजों को स्वीकार्यता देगी.

जयशंकर ने कहा कि 1948 से अब तक दस लाख से ज्यादा शांतिरक्षकों ने संयुक्त राष्ट्र के झंडे के तले सेवा दी है. उन्होंने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा एक विशिष्ट वैश्विक साझेदारी है. इसमें महासभा, सुरक्षा परिषद, सचिवालय, सेना और पुलिस तथा मेजबान देशों की सरकारें एक साथ आकर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए प्रयास करते हैं.'

जयशंकर ने कहा, 'इसकी शक्ति यूएन चार्टर की वैधता तथा योगदान देने वाले देशों में निहित है जो कीमती संसाधन उपलब्ध कराते हैं.'

गुतारेस ने कहा कि वह 'आज शांतिरक्षा स्मारक पर शांतिरक्षकों के बलिदान का सम्मान करने के लिए' भारत को धन्यवाद देते हैं. उन्होंने कहा कि शांतिरक्षकों की सुरक्षा मजबूत करना उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है.

(भाषा)

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