संयुक्त राष्ट्र :भारत ने विस्थापित रोहिंग्या के बांग्लादेश से म्यांमार जल्द लौटने पर जोर देते हुए कहा कि मुद्दे के समाधान में उसका सबसे बड़ा हित है. क्योंकि यह एकमात्र देश है, जिसकी दोनों देशों से लंबी सीमा लगती है. म्यांमार की स्थिति पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की अनौपचारिक बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस टीएस तिरूमूर्ति ने यह बातें कहीं.
टीएस तिरूमूर्ति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देश में हुई हालिया घटनाओं से अभी तक हुई प्रगति में बाधा नहीं पहुंचे. साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सकारात्मक कदमों को प्रोत्साहित करना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में 11 लाख से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं, जो सेना की कार्रवाई के बाद म्यांमार से भागे थे. सेना की कार्रवाई को कई अधिकार समूह जातीय सफाया करार देते हैं. म्यांमार रोहिंग्या को जातीय समूह नहीं मानता और उसका मानना है कि वे बांग्लादेशी प्रवासी हैं जो अवैध रूप से देश में रह रहे हैं.
म्यांमार की सेना ने एक फरवरी को देश में तख्तापलट कर वहां की नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया था. सैन्य तख्तापलट ऐसे वक्त में हुआ जब बांग्लादेश 11 लाख रोहिंग्या की सुरक्षित वापसी के लिए अभियान चला रहा था. म्यांमार के रखाइन प्रांत से विस्थापित लोगों के मुद्दे पर तिरूमूर्ति ने कहा कि विस्थापित लोगों की वापसी के मुद्दे को सुलझाने में भारत का सबसे बड़ा हित है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा देश है जिसकी बांग्लादेश और म्यांमार से लंबी सीमा लगती है.