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इजरायल-फिलिस्तीन युद्धविराम : वैश्विक समुदाय ने किया प्रयास, यूएनएचआरसी में भारत ने किया स्वागत - युद्धविराम लाने में वैश्विक समुदाय

यूएनएचआरसी में भारत ने गुरुवार को कहा कि वह मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जिसे राज्यों के बीच संवाद, परामर्श और सहयोग के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय देशों के राजनयिक उन प्रयासों का स्वागत किया जिनकी वजह से गाजा में इजरायल और सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष विराम हुआ है.

यूएनएचआरसी
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Published : May 27, 2021, 10:47 PM IST

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में भारत ने गुरुवार को कहा कि वह मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जिसे राज्यों के बीच संवाद, परामर्श और सहयोग के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है.

पूर्वी यरुशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीन क्षेत्र में मानवाधिकार की गंभीर स्थिति पर जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधि, इंद्रमणि पांडे ने कहा, 'भारत मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो राज्यों के बीच संवाद, परामर्श और सहयोग के माध्यम से सर्वोत्तम रूप से आगे बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय देशों के राजनयिक उन प्रयासों का स्वागत करता है, जिसकी वजह से गाजा में इजरायल और सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष विराम हुआ है.

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उन्होंने कहा कि भारत सभी पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाले कार्यों से दूर रहने के अलावा पूर्वी यरुशलम और उसके पड़ोस से स्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के किसी भी प्रयास से दूर रहने का आह्वान करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से हराम अल-शरीफ / मंदिर माउंट और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों में, और पूर्वी यरुशलम के अंर्तगत आने वाले शेख जर्राह और सिलवान में लोगों को हटाए जाने को लेकर भी चिंतित हैं, क्यों कि यह क्षेत्र भी संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि गाजा से अंधाधुंध रॉकेट फायरिंग की भारत निंदा करता है और पिछले दो हफ्तों में गाजा में जवाबी हवाई हमले की कार्रवाई का उन्हें दुख है, इसी हमले में एक भारतीय नागरिक की भी मौत हो गई थी.

इंद्रमणि पांडे ने हिंसा की वजह से हुए लोगों के जीवन के नुकसान पर दुख जताते हुए विशेष रूप से गाजा में फिलिस्तीनी नागरिक आबादी को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तत्काल ध्यान देने अनुरोध किया. उन्होंने यूएनएचआरसी में उपस्थित सदस्यों को बताया कि भारत ने फिलीस्तीनी प्राधिकरण को विकासात्मक और मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखा है, जिसमें कोविड -19 संबंधित सहायता, द्विपक्षीय रूप से और संयुक्त राष्ट्र में हमारे समर्पित योगदान के माध्यम से शामिल है.

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भारत का दृढ़ विश्वास है कि बातचीत ही एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये आने वाले मुद्दों को अच्छी तरह से हल किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हाल के घटनाक्रम ने एक बार फिर से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बातचीत को फिर से शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इसका उद्देश्य सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर शांति से रहने वाले दो राज्यों की स्थापना को साकार करना है.

इससे पहले मध्य पूर्व की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 16 मई को एक खुली बहस को संबोधित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि चल रही हिंसा ने पीड़ा का कारण बना दिया है क्यों कि इसकी वजह से मौतें हुई हैं, जिनमें महिलाएं व बच्चे शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भारत हिंसा के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, जिसमें गाजा से अंधाधुंध रॉकेट फायरिंग और जवाबी हमले शामिल हैं.

तिरुमूर्ति ने कहा कि हम दोनों पक्षों से संयम बनाये रखने के साथ तनाव बढ़ाने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने का अनुरोध करते हैं. उन्होंने दोहराया कि भारत फिलीस्तीनियों के न्यायोचित कारण और दो राज्यों के समाधान का समर्थन करता है. इसके बाद इजरायल और हमास द्वारा 20 मई को युद्धविराम की घोषणा किए जाने से व्यापक विनाश को बचाया जा सकेगा. इसकी वजह से इजरायल और फिलिस्तीन के लोगों के जीवन में एक ठहराव ला दिया था.

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