ग्लासगो: वेटिकन में रविवार की प्रार्थना सभा में पोप फ्रांसिस ने दुनिया के लोगों से यह प्रार्थना करने की अपील की कि दुनियाभर के नेता जलवायु में तापमान बढ़ने के साथ धरती और गरीबों की पीड़ा को समझें.
बैठक में लगभग 200 देशों के वार्ताकार 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के बाद से लंबित मुद्दों पर चर्चा करेंगे, और इस सदी में वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फ़ारेनहाइट) से अधिक होने से रोकने के प्रयासों को तेज करने के तरीके खोजेंगे.
ग्लासगो में सीओपी26 के अध्यक्ष और ब्रिटेन के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पाने के लिहाज से हमारी अंतिम और सर्वश्रेष्ठ उम्मीद है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि छह साल पहले फ्रांस की राजधानी में जिस लक्ष्य पर सहमति बनी थी, उसे हासिल करने की संभावना धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. वैश्विक तापमान पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो चुका है और वर्तमान अनुमान के अनुसार वर्ष 2100 तक यह तापमान वृद्धि 2.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकती है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से धरती की बर्फ पिघल जाएगी, जिससे वैश्विक समुद्र स्तर बढ़ जाएगा। इसके चलते मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं की आशंका और बढ़ जाएगी.
उन्होंने उद्घाटन सत्र में कहा कि हम बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं और आकांक्षा तथा कार्रवाई बढ़ाने के एक दशक की शुरुआत कर सकते हैं. हम अच्छे हरित रोजगारों, सस्ती तथा स्वच्छ ऊर्जा के लिए हरित विकास के लिहाज से अनेक अवसर हासिल कर सकते हैं. शर्मा ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश चीन ने अपने जलवायु लक्ष्यों को कुछ बढ़ा दिया है. उन्होंने रविवार को बीबीसी से कहा था, लेकिन जाहिर है कि हमें और अधिक की उम्मीद है.