हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है. इससे निबटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं. अमेरिका जैसे देश कोरोना की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन पाई है. इसी बीच I-MAB-TJM2 पद्धति से कोरोना के रोगियों के इलाज में एक उम्मीद दिखाई पड़ी है. आइए जानते हैं कि क्या यह पद्धति कोरोना के रोगियों को जीवन बचाने में पर्याप्त है.
कोरोना के रोगियों में एंटी ग्रैनुलोसाइट-मैक्रोफेज कॉलोनी उत्तेजक कारक (जीएम-सीएसएफ) एंटीबॉडी की चिकित्सीय भूमिका का मूल्यांकन I-MAB-TJM2 के नैदानिक परीक्षण के माध्यम से किया जा रहा है. इससे कोरोना के रोगियों के इलाज करने के लिए एक उम्मीद दिखाई पड़ी है.
I-Mab, क्लीनिकल-स्टेज बायो फार्मास्युटिकल कंपनी, जो नोवेल बायोलॉजिक्स की खोज, विकास और व्यावसायीकरण के लिए प्रतिबद्ध है, एक कठोर और मजबूत नैदानिक परीक्षण प्रोटोकॉल का पालन करती है, जो विश्व स्तर पर इसी तरह के एंटी-जीएम-सीएसएफ एंटीबॉडी अध्ययनों में से पहला है, जो अध्ययन की मजबूती सुनिश्चित करता है.
डेटा मॉनिटरिंग कमेटी (DMC) ने अध्ययन के भाग एक की समीक्षा की ताकि मरीज की सुरक्षा और अध्ययन के समग्र आचरण का आकलन किया जा सके, जिसके बाद व्यापक समीक्षा और विश्लेषण के बाद, डीएमसी ने निष्कर्ष निकाला कि I-Mab अध्ययन के भाग दो को योजना के अनुसार शुरू कर सकता है. यह दर्शाता है कि टीजेएम2 पद्धति कोरोना के रोगियों में सुरक्षित रखने और जीवन बचाने में कारगर साबित हो सकती है.