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अमेरिका में हिंसा लोकतंत्र के लिए झटका : हांगकांगवासी

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Published : Jan 7, 2021, 7:06 PM IST

अमेरिका के कैपिटोल परिसर में बड़ी संख्या में ट्रंप के समर्थन में लोगों के एकत्रित होने के बाद हिंसा भड़क गई. हिंसक भीड़ ने कैपिटोल पर हमला कर दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों के विरोध में रैली बुलाई थी. इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई है और 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस घटना की हांगकांग के निवासियों ने निंदा की है.

hk residents on violence
hk residents on violence

हांगकांग :हांगकांग के निवासियों ने राजनीतिक विचारों से ऊपर उठ कर एक स्वर में यूएस कैपिटोल (अमेरिकी संसद भवन) में भीड़ के हमले की निंदा की है.

यह घटना वृहद लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों द्वारा हांगकांग के संसद भवन में घुसने के 18 महीने बाद हुई है.

लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने कहा कि बुधवार की हिंसा से अमेरिका की साख और लोकतंत्र को झटका लगा है.

हांगकांग में चीन समर्थन संस्थान ने भी हिंसा को अस्वीकार्य करार देते हुए इसे संभावित विद्रोह करार दिया है.

अमेरिकी संसद भवन पर हमले की घटना हांगकांग में 53 लोकतंत्र समर्थकों की गिरफ्तारी के एक दिन बाद हुई है. हांगकांग के अधिकारियों के अनुसार गिरफ्तार किए गए लोगों पर संदेह है कि उन्होंने विधायिका में बहुमत हासिल करने की अपनी योजना के माध्यम से सरकार को पंगु बनाने की कोशिश की, ताकि ऐसे हालात पैदा हो जाएं, जिनके कारण हांगकांग की शीर्ष नेता को इस्तीफा देना पड़े और सरकार का कामकाज बंद हो जाए.

लोकतंत्र समर्थक और वर्ष 1989 में बीजिंग द्वारा थियानमेन चौक पर प्रदर्शनकारियों के दमन की याद में हर साल कार्यक्रम आयोजित करने वाले ली चीयूक यान ने कहा कि वाशिंगटन में हिंसा से अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्य के तर्क कमजोर हुए हैं.

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए यह देखना दुखदायक है कि भीड़ कैपिटोल हिल पर हमला कर रही है और चुनाव के नतीजों को निष्प्रभावी करने की कोशिश कर रही है. हम हांगकांग के लोग लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं जिसमें सभी को मत देने का अधिकार हो, लेकिन जब हम अमेरिका की ओर देखते हैं तो वहां अब लोगों की इच्छा को हिंसा से बदलने की कोशिश हो रही है.'

पढ़ें-इतिहास में काले धब्बे की तरह देखी जाएगी कैपिटोल पर हमले की घटना

बीजिंग समर्थक सांसद रेगिना इप ने चुनावी नतीजों को बदलने के लिए हिंसा को ‘बहुत ही गंभीर’ करार दिया और कहा कि इसे बगावत की तरह देखा जाना चाहिए.

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