हैदराबाद : अमेरिका के मिनियापोलिस में पुलिस हिरासत में एक निहत्थे अश्वेत की मौत के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच काफी हिंसक झड़पें हो रही हैं. अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का एक वीडियो भी काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह गिड़गिड़ाकर कह रहे हैं कि मेरी गर्दन से घुटना हटाओ मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं. लेकिन फिर भी पुलिस अधिकारी उनकी गर्दन को काफी देर तक दबाए रखता है, जिससे इनकी मौत हो जाती है.
आपको बता दें कि अमेरिकी पुलिस का अश्वेत अमेरिकियों पर नस्लीय हमलों का इतिहास काफी पुराना है. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के एक लेख के मुताबिक अमेरिका में हर अश्वेत एक डर के साए में रहता है. विश्लेषण करने पर पता चला कि अमेरिका में श्वेत लोगों को लगता है कि उनके जीवनकाल में ढाई हजार मौकों में से एक मौका आ सकता है, जब उनकी पुलिस हत्या कर सकती है.
वहीं एक अश्वेत को महसूस होता है कि उसके जीवनकाल में एक हजार मौकों में से एक मौका आ सकता है, जब उसे लगता है कि पुलिस उसकी हत्या कर सकती है. महिलाओं की स्थिति में अगर देखें तो श्वेत महिलाओं की हत्या की तुलना में अश्वेत महिलाओं की हत्या 1.4 गुना अधिक है.
पुलिस की बर्बरता और अश्वेतों पर गोली चलाने की प्रमुख घटनाएं :
3 मार्च, 1991 -
इलएपीडी अधिकारियों ने मोटर चालक रॉडनी किंग को पीटा क्योंकि पुलिस उसका पीछा कर रही थी और रॉडनी किंग पुलिस की गिरफ्त से भागने की कोशिश कर रहा था. जॉर्ज हॉलीडे नाम के शख्स ने एक वीडियो बनाया, जिसमें दिखा कि पकड़े जाने पर पुलिस ने रॉडनी किंग को बैट से बेरहमी से पीटा और 20 से ज्यादा पुलिस अधिकारी खड़े होकर देख रहे थे.
5 नवंबर, 1992 -
एक अश्वेत मोटर चालक मेलिस वायने ग्रीन ने जब संदिग्ध नशे के अड्डे के बाहर मोटर साइकिल पार्क की तो पुलिस अधिकारी उसके पास पूछताछ के लिए पहुंचे. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुलिस ने भारी फ्लैशलाइट के साथ बार-बार निहत्थे व्यक्ति के सिर पर प्रहार किया. पुलिस का कहना है कि उन्हें शक हुआ की ग्रीन उनका हथियार छीनना चाहता है. ग्रीन को इतनी चोट आई की उसकी मौत हो गई.