संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा : भारत में कोविड-19 के मामलों पर किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि 19 वर्ष तक की आयु के लोगों तथा महिलाओं के बीच संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई. साथ ही कोरोना वायरस के कम संक्रामक स्वरूप (नॉन वेरिएंट ऑफ कंसर्न) की तुलना में डेल्टा स्वरूप ने टीके की खुराक लेने के बाद लोगों को अपनी चपेट में अधिक लिया. इस स्वरूप के कारण मरने वाले लोगों की दर भी अधिक रही.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इस हफ्ते जारी कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान जानकारी के अनुसार, एक आबादी पर किया गया अध्ययन बीमारी की गंभीरता और मृत्यु दर समेत जनसांख्यिकीय विशेषताओं पर आधारित है.
डेल्टा वेरिएंट की चपेट में ज्यादा लोग आए
यह अध्ययन नॉन वेरिएंट ऑफ कंसर्न (बी.1) स्वरूप और डेल्टा स्वरूप (बी.1.617.2) से संक्रमित लोगों पर किया गया. डब्ल्यूएचओ ने ताजा जानकारी में कहा, 'कोविड-19 के 9,500 मरीजों के वायरल आनुवंशिक अनुक्रम का इस्तेमाल करते हुए इस अध्ययन में पाया गया कि युवाओं (0-19 साल के आयु वर्ग) और महिलाओं में संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ी और बी.1 स्वरूप के मुकाबले डेल्टा स्वरूप ने टीके की खुराक लेने के बाद लोगों को अपनी चपेट में अधिक लिया. इस स्वरूप के कारण अस्पताल में भर्ती होने तथा मरने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही.'
ताजा जानकारी में कहा गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के साप्ताहिक मामले और मौत की संख्या लगातार कम हो रही है. 27 सितंबर से तीन अक्टूबर के दौरान कोरोना वायरस के 31 लाख से अधिक मामले आए और 54,000 लोगों की मौत हुई.