क्यूबेक सिटी/ओटावा : मनुष्यों का समुद्र के साथ बहुत गहरा और जटिल रिश्ता रहा है. यह मनुष्यों को खाद्य सामग्री और जरूरी पोषक तत्व, दवाइयां और नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराता है. लोग इन नीले समंदर में तैरते हैं, सर्फ करते हैं और स्कूबा डाइव का आनंद लेते हैं. यह युद्ध के शूरवीरों और ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चों के लिए सर्फ थेरेपी का साधन बनकर नैदानिक चिकित्सा का अहम हिस्सा है.
अर्थव्यवस्थाएं समुद्र से भी जुड़ी होती हैं. मछली पकड़ना, पर्यटन, समुद्री परिवहन और जहाजों के परिचालन से रोजगार मिलते हैं, आय होती है और खाद्य सुरक्षा होती है, वहीं यह संस्कृति और स्वास्थ्य से भी जुड़ा है. लेकिन बढ़ते ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन से महासागर में परिवर्तन हो रहा है जिससे हमारा स्वास्थ्य खतरे में है.
महासागर का पानी अब गर्म, अधिक अम्लीय और कम ऑक्सीजन क्षमता वाला है. महासागर पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही अत्यधिक मछली पकड़ने और प्रदूषण से दबाव में हैं,अब स्थिति और खराब होने का खतरा है. समुद्री बर्फ के पिघलने, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और बढ़ती मौसमी घटनाओं के साथ विशेष कर तटीय आबादी वाले क्षेत्रों में मानव स्वास्थ्य और उनका कुशल क्षेम अब कई खतरों का सामना कर रहा है.
1. जलीय आपदाएं
जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाएं चरम पर हैं और लगातार हो रही हैं. उदाहरण के लिए 20वीं सदी की शुरुआत से अब तक 13.3 लाख लोगों की जान ले चुके उष्णकटिबंधीय चक्रवात (जैसे तूफान और टाइफून) समुद्र के गर्म होते पानी के साथ और अधिक तीव्र होते जा रहे हैं.
2. पलायन और विस्थापन
वैश्विक समुद्र स्तर के बढ़ने के साथ तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाएं अब सामान्य और गंभीर होती जा रही है. सदी के अंत तक एक और 250,000 वर्ग किलोमीटर तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का अनुमान है, जिससे लाखों लोगों पर खतरा मंडरा रहा है. समुद्र में पानी बढ़ने, कटाव से कुछ तटीय बस्तियों के लोगों के लिए वहां रहना कठिन या असंभव बन सकता है. उदाहरण के लिए तटीय तूफान की घटनाओं और ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ के पिघलने से न्यूटोक (निउगताक) के युपिक गांव ने 2019 में नियोजित स्थानांतरण का पहला चरण शुरू किया.
3. बर्फ का पिघलना