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चीन के साथ 'अविश्वास और सत्यापन' की नीति पर काम करेगा अमेरिका : पोम्पिओ - राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि हम अब ये भी जानते हैं कि सभी चीनी छात्र और कर्मचारी सामान्य नहीं हैं. ये खुद के लिए ज्ञान अर्जित नहीं कर रहे और न खुद के लिए पैसा कमा रहे हैं बल्कि ये सीसीपी के सपनों को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भी सामान्य सेना नहीं है. इसका लक्ष्य चीनी लोगों की रक्षा करना नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य सीसीपी के अभिजात वर्ग के पूर्ण शासन को बनाए रखना और चीनी साम्राज्य का विस्तार करना है.

चीन के साथ हमारी नीति अविश्वास और सत्यापन की होगी - पोम्पिओ
चीन के साथ हमारी नीति अविश्वास और सत्यापन की होगी - पोम्पिओ

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Published : Jul 24, 2020, 9:26 AM IST

कैलिफोर्निया : चीन-अमेरिका के बढ़ते तनाव के बीच यूएस सचिव माइकल पोम्पिओ ने कहा कि अविश्वास और सत्यापन अब बीजिंग के प्रति वाशिंगटन की नई नीति होगी. उन्होंने सभी देशों से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दबाव बनाने की अपील की और ताकि चीन का व्यवहार बदले और वह रचनात्मक और मुखर हो सके.

माइक पॉम्पियो ने कहा कि चीन की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है. कम्युनिस्ट चीन को सही मायने में बदलने का एकमात्र तरीका यही है कि जैसा उनके नेता करते हैं हम भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें. पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सोवियत संघ के साथ 'विश्वास लेकिन सत्यापन' के आधार पर काम किया था. लेकिन चीन के साथ हमारी नीति अविश्वास और सत्यापन की होगी. ये बातें पोम्पिओ ने कैलिफोर्निया के योरबा लिंडा में रिचर्ड निक्सन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में 'कम्युनिस्ट चाइना एंड द फ्री वर्ल्ड्स फ्यूचर' पर बोलते हुए कहा.

उन्होंने कहा, 'हमें दुनिया के मुक्त राष्ट्रों को सीसीपी के व्यवहार में अधिक रचनात्मक और मुखर तरीके से बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि बीजिंग के रवैये से हमारे लोगों और हमारी समृद्धि को खतरा है." पोम्पिओ ने कहा कि "यदि विश्व कम्युनिस्ट चीन को नहीं बदलता है, तो कम्युनिस्ट चीन विश्व को बदल देगा'.

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी आजाद सपनों का होना चाहिए न कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सपनों का. चीन के प्रति हमारा पुराना व्यवहार अब खत्म हो चुका है.

पोम्पियो ने कहा, हमें पुराने व्यवहार को न तो जारी रखना है और न उसपर कायम रहना है. जैसा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि हमें एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता है जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था और हमारे मुक्त जीवन को सुरक्षित रख सके. हम अब जानते हैं कि चीन के साथ व्यापार करना एक सामान्य और कानून का पालन करने वाले राष्ट्र के साथ व्यापार करने जैसा नहीं है.

बीजिंग विश्व पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय समझौतों को रुकावट मानता है. सीसीपी के समर्थन वाली कंपनियों के साथ व्यापार करना वैसा नहीं है जैसा कि उदाहरण के लिए कनाडा की कंपनी के साथ व्यापार करना. चीन स्वतंत्र बोर्डों को जवाब नहीं देता है. हुआवेई के उदाहरण का हवाला देते हुए, पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिका ने चीनी तकनीकी दिग्गज को "मासूम दूरसंचार कंपनी" के रूप में मान्यता देना बंद कर दिया है और इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा' बताया है और वाशिंगटन ने इस संबंध में उचित कार्रवाई की है.

पढ़ें:ह्यूस्टन में बंद हुआ चीनी दूतावास, ट्रंप ने कहा- 'जलाए जा रहे थे दस्तावेज'

उईगर आबादी वाले शिनजियांग प्रांत में सीसीपी द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर बोलते हुए, पोम्पिओ ने कहा, "यदि हमारी कंपनियां चीन में निवेश करती हैं, तो वे जाने-अनजाने कम्युनिस्ट पार्टी के मानवाधिकार के उल्लंघन को बढ़ावा देती है. उन्होंने कहा, "ट्रेजरी विभाग और वाणिज्य विभाग ने चीनी नेता और कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है जो अमेरिका और मानवाधिकार के लिए खतरा हैं.

पोम्पिओ ने कहा, हम अब ये भी जानते हैं कि सभी चीनी छात्र और कर्मचारी सामान्य नहीं हैं. ये खुद के लिए ज्ञान अर्जित नहीं कर रहे न खुद के लिए पैसा कमा रहे हैं बल्कि ये सीसीपी के सपनों को पूरा कर रहे हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) भी सामान्य सेना नहीं है. इसका लक्ष्य चीनी लोगों की रक्षा करना नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य "सीसीपी के अभिजात वर्ग के पूर्ण शासन को बनाए रखना और चीनी साम्राज्य का विस्तार करना है.

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