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कोविड के खिलाफ लड़ाई में डेलॉइट ने शुरू की संजीवनी परियोजना - डेलॉइट ने शुरू की संजीवनी परियोजना

डेलॉइट ने कोविड के खिलाफ लड़ाई में तेजी से आगे बढ़ाए जा सकने वाला कार्यक्रम तैयार किया है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पुनीत रंजन ने यह जानकारी दी.

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Published : May 25, 2021, 12:15 PM IST

वॉशिंगटन : 'बिग फोर' लेखा संगठनों में से एक डेलॉइट ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में एक 'बहुत उन्नत, साधारण और उद्देश्य के लिए उपर्युक्त कार्यक्रम' विकसित किया है, जो बहुत कम समय में आगे बढ़ाया जा सकता है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पुनीत रंजन ने सोमवार को यह जानकारी दी.

रंजन ने हरियाणा के करनाल जिले में 'संजीवनी परियोजना' की शुरुआत के एक दिन बाद कहा, हमने एक नये, साधारण, उद्देश्य के लिए उपर्युक्त कार्यक्रम तैयार किया है, जो एकीकृत है.

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डेलॉइट की ओर से तैयार एवं पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया और हरियाणा के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा समर्थित कार्यक्रम, कोविड-19 के हल्के एवं मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के जल्द स्वास्थ्य लाभ तक पहुंचने में मदद के लिए घर पर देखभाल की पर्यवेक्षित एवं डिजिटल पहल है.

रंजन ने कहा, हमने एक प्लेबुक तैयार कर कूट भाषा में उसे रचा है ताकि हम राज्य भर में इसे आगे बढ़ा सकें. हम अब इसे अगले जिले, रोहतक में ले जाएंगे और फिर वहां लागू करेंगे.

परियोजना पर पांच करोड़ रुपये निवेश करने के अलावा डेलॉयट ने अपने 25 कर्मियों की एक टीम भी तैनात की है. बहुराष्ट्रीय कंपनी इसे राज्यव्यापी प्रयास बनाने की योजना भी लेकर आई है.

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रंजन ने कहा, यह पहली बार है जब हमने देश में ऐसा किया है. कार्यक्रम मौजूदा कोविड लहर से निपटने में हमारी मदद करेगा. अगर तीसरी लहर आती है तो यह उससे निपटने में भी कारगर होगा, लेकिन अगर यह कार्यक्रम प्रभावी होता है और अमल में लाया जाता है, तो यह ग्रामीण समुदायों में प्राथमिक स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करा सकता है.

कार्यक्रम के सात पहलू हैं, जिसमें कमांड नियंत्रण केंद्र, कोविड-19 हॉटलाइन के साथ मौजूदा कॉल सेंटर क्षमताएं बढ़ाना, 200 मेडिकल विद्यार्थियों को हल्के से मध्यम लक्षण वालों को ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा देने के काम में लगाना और एएलएस एंबुलेसों तथा चल दवाखानों की तैनाती करना. इसमें फील्ड अस्पताल को ऑक्सीजन सांद्रक जैसे चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध कराना और घर पर देखभाल के प्रोटोकॉल पर जागरुकता अभियान शुरू करना तथा घरेलू देखभाल में सामुदायिक कार्यकर्ताओं (आशा नेटवर्क) का लाभ उठाना भी शामिल है.

(भाषा)

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