वॉशिंगटन : अफगानिस्तान से अमेरिकी की वापसी की प्रक्रिया 31 अगस्त को पूरी हो चुकी है. लेकिन इस मिशन के अंतिम दिन के मंजर अब भी अमेरिकी सेना के पायलटों और चालक दल के सदस्यों के जेहन में ताजा हैं.
इस मिशन के तहत उड़ान भरने वाले अंतिम विमान के चालक दल के सदस्य बताते हैं कि उस दिन आकाश आतिशबाजी और छिटपुट गोलीबारी से जगमगा रहा था और हवाई क्षेत्र हवाई जहाजों के मलबे और नष्ट किए गए उपकरणों से अटा पड़ा था.
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के अंतिम दिन 31 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे पर पांच अंतिम सी-17 विमान कतार में खड़े थे, जिनके जरिये अमेरिका को अमेरिकी और अफगान नागरिकों को देश से निकालना था. मिशन के अंतिम घंटो के दौरान रनवे पर इन विमानों की हिफाजत के लिये कोई रॉकेट रक्षा प्रणाली नहीं थी. साथ हवाई अड्डे के नियंत्रण केंद्र (एटीसी) पर इन विमानों को निर्देश देने वाला भी कोई नहीं था.
वायु सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रैडन कोलमैन उस मंजर को भयावह बताते हुए कहते हैं कि 'सर्वनाश जैसा मंजर' था. कोलमैन अपने विमान की सुरक्षा के प्रभारी थे.
उन्होंने कहा, 'ऐसा लग रहा था, जैसे हम कोई डरावनी फिल्म देख रहे हों. जहां सारे विमान हवाईअड्डे पर नष्ट नजर आ रहे थे. एक विमान था जो पूरी तरह जला हुआ था.'
काबुल हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले अमेरिकी वायुसेना के अंतिम विमान के चालक दल के सदस्यों ने बुधवार को एसोसिएटेड प्रेस को दिए साक्षात्कार में उस दिन के अपने अनुभवों को साझा किया.