मेक्सिको सिटी : कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को लगभग 20 लाख हो गई. हालांकि कई देशों ने महामारी पर काबू पाने के लिए अपने यहां टीकाकरण शुरू कर दिया है लेकिन गरीब और कम विकसित देशों में टीका पहुंचने में दिक्कत है.
कोरोना वायरस दिसंबर 2019 में पहली बार चीन के वुहान शहर में सामने आया था. जोन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा संकलित किए गए मृत्यु संबंधी आंकड़े ब्रसेल्स, मक्का और वियना की आबादी के बराबर हैं. गौरतलब है कि शुरुआती 10 लाख लोगों की मौत आठ महीनों में हुई थी लेकिन अगले 10 लाख लोग चार महीने से भी कम समय में मर गए.
मौत के ये आंकड़े दुनियाभर में सरकारी एजेंसियों द्वारा बताए गए हैं, जबकि बीमारी के कारण मृतकों की असल संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि महामारी के शुरुआती दिनों में मौत होने के कई अन्य कारण भी बताए गए थे. ब्रॉउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विशेषज्ञ डॉ आशीष झा ने कहा कि काफी लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय ने असाधारण काम किया है.
अमेरिका, ब्रिटेन, इज़राइल, कनाडा और जर्मनी जैसे संपन्न देशों में लाखों लोगों को सुरक्षा देने का काम शुरू किया जा चुका है. उन्हें कम से कम टीके की एक खुराक दी गई है. कई ऐसे देश हैं जहां टीका पहुंचा ही नहीं है. कई विशेषज्ञ अनुमान जता रहै हैं कि ईरान, भारत, मेक्सिको और ब्राजील में यह साल भी दुश्वारी भरा हो सकता है. दुनियाभर में कोविड-19 से मरने वालों में आधे लोग इन्हीं देशों से थे. अमीर देशों में टीकाकरण अभियान तो चल रहा है लेकिन गरीब देशों में इस अभियान को चलाने में कई बाधाएं हैं. इनमें कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली होना, लचर परिवहन व्यवस्था, भ्रष्टाचार और टीके को फ्रीज़र में रखने के लिए बिजली का अभाव शामिल हैं.
पढ़ें : कोरोना पर करारा प्रहार, देश में तीन हजार से ज्यादा सेंटर, जानें तैयारियां
कोविड-19 टीके की अधिकतर खुराक अमीर देशों ने खरीद ली हैं. दुनिया के विकासशील देशों में टीका पहुंचाने लिए शुरू की गई संयुक्त राष्ट्र समर्थित परियोजना कोवैक्स को टीके, धन और साजो-समान संबंधी समस्या से जूझना पड़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस साल दुनिया के 70 फीसदी लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कुछ देशों या स्थानों पर टीकाकरण कर भी दिया जाता है तो यह दुनियाभर में लोगों को संक्रमण से नहीं बचाएगा.