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दुश्मन देशों से ज्यादा अपने नागरिकों की आजाद सोच से डरता है चीन : पोम्पिओ

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Published : Jul 9, 2020, 10:23 AM IST

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कोरोना वायरस के प्रसार और हांगकांग में पारित किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर चीन पर निशाना साधा है. उन्होंने चीनी सरकार की आलोचना करते हुए प्रोफेसर जू झानगुन को रिहा करने की मांग भी की. पढ़ें पूरी खबर...

mike pompeo
माइक पोम्पिओ

वॉशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) पर निशाना साधा है. उन्होंने प्रोफेसर जू झानगुन को रिहा करने की बात कही है. दरअसल, जू झानगुन ने कोरोना वायरस को लेकर शी जिनपिंग की आलोचना करते हुए एक लेख प्रकाशित किया था, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है.

पोम्पिओने कहा कि चीन किसी विदेशी दुश्मन से ज्यादा अपने लोगों की स्वतंत्र सोच से डरता है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना वायरस को लेकर शी जिनपिंग की आलोचना करने वाले जू झानगुन को हिरासत में लिया है, जो कि गलत है. उसे रिहा कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ सच्चाई बता रहा था.

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि सीसीपी में विश्वसनीयता की समस्या है. वे दुनिया को कोरोना वायरस के बारे में बताने में विफल रहे, और अब दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो गई है. पोम्पिओ ने कहा कि इस समय दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ गंभीर तरीके से जुड़ने की जरूरत है.

पोम्पिओ ने कहा कि इसमें डब्ल्यूएचओ के हस्तक्षेप करना ठीक है लेकिन डब्ल्यूएचओ को अपना वास्तविक काम करने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष होने की जरुरत है. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस जांच में सही लोग शामिल हों. यह राजनीति नहीं, विज्ञान के बारे में है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को इस वायरस को लेकर सच्चाई बतानी होगी और दुनिया के साथ आना होगा.

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अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन के हांगकांग में पारित किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर भी हमला बोला. उन्होंने फेसबुक से यूजर्स की जानकारी मांगे जाने पर हांगकांग सरकार की आलोचना की. गौरतलब है कि फेसबुक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है, जिसकी पोम्पिओ ने सराहना की.

बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जू ने फरवरी में एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें चीन में कोरोना वायरस की स्थिति को लेकर धोखेबाजी और सेंसरशिप की नीति की आलोचना की गई थी. जू ने सिंघुआ विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर हैं और उन्होंने 2018 में राष्ट्रपति पद की सीमा को समाप्त करने के खिलाफ भी बोला था.

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