वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका ने कहा कि विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की भारत यात्रा का मकसद विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के साथ सामरिक संबंधों को और मजबूत करना है.
विदेश मंत्रालय के एक तथ्यात्मक दस्तावेज में कहा गया कि अमेरिका और भारत स्वाभाविक सामरिक साझेदार हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साझेदारी को और आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है.
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पोम्पिओ तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं. पोम्पिओ के भारत पहुंचने के कुछ घंटों बाद जारी इस दस्तावेज में कहा गया,'हाल में हुए चुनाव में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को मिला प्रचंड बहुमत इस दृष्टिकोण को हकीकत में बदलने का बेहतरीन अवसर मुहैया कराता है.
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इसमें कहा गया कि अमेरिका और भारत ऊर्जा, अंतरिक्ष तथा विमानन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा कर स्वतंत्र, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अपनी साझी परिकल्पना को हकीकत में तब्दील करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
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आपको बता दें कि पोम्पिओ मंगलवार को भारत पहुंचे थे. ट्रंप प्रशासन के दौरान किसी अमेरिकी विदेश मंत्री का यह तीसरा भारत दौरा है. पोम्पिओ की यह यात्रा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर होने वाली बैठक से पहले हो रही है. जी-20 शिखर सम्मेलन 28-29 जून को जापान के ओसाका में होने वाला है.
अमेरिका चाहता है भारत निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार अपनाए, बाधाएं दूर करे
अमेरिका ने कहा कि ट्रंप प्रशासन चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करें और निष्पक्ष एवं पारस्परिक कारोबार का रुख अपनाएं.
विदेश मंत्रालय की तथ्य पत्रक (फैक्ट शीट) के मुताबिक, “अगर भारत कारोबार की बाधाओं को कम कर निष्पक्ष और परस्पर व्यापार का रुख अपनाता है तो जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं हमारे कारोबारी संबंधों में बढ़ोतरी और उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा करने की प्रचुर संभावनाएं हैं.'
भारतीय नेतृत्व के साथ पोम्पिओ की बातचीत में द्विपक्षीय कारोबार चर्चा का अहम मुद्दा रहने की उम्मीद है. अमेरिकी कंपनियां भारत में काफी अवसर देखती हैं और बढ़ते आर्थिक खुलेपन और निवेश से परस्पर फायदा होगा.
इसमें कहा गया, 'ट्रंप प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिये काम कर रहा है कि भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के पास भी वैसे ही अवसर हों जैसे कि अमेरिका में भारतीय कंपनियों को मिलते हैं.'
विदेश विभाग ने कहा कि भारत के नंबर एक विदेशी बाजार के तौर पर अमेरिका उसके लगभग कुल निर्यात का लगभग पांचवां हिस्सा खरीदता है. भारत भी अमेरिकी सामानों के लिये तेजी से बढ़ता अहम बाजार है.