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तिब्‍बत के मसले पर बदले की कार्रवाई में चीन ने अमेरिकी अधिकारियों पर लगाया वीजा प्रतिबंध

अमेरिका ने तिब्बत को लेकर चीनी अधिकारियों पर पाबंदी की घोषणा की. इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 8, 2020, 9:47 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 9:53 PM IST

वाशिंगटन/बीजिंग : चीन और अमेरिका के बीच टकराव तेज होता जा रहा है. दरअसल, अमेरिका ने तिब्बत के संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशियों की पहुंच रोकने के काम में शामिल चीन के वरिष्ठ अधिकारियों पर नए वीजा प्रतिबंधों की घोषणा की थी. साथ ही तिब्बती लोगों की 'सार्थक स्वायत्तता' के प्रति अपना समर्थन भी दोहराया. अमेरिका के इस रवैये को देखते हुए चीन ने भी अमेरिकी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिए हैं.

अमेरिका के इस कदम को गलत बताते हुए चीन ने कहा कि उसने फैसला किया है कि वह उन अमेरिकी अधिकारियों को वीजा नहीं देगा जिन्‍होंने तिब्‍बत से जुड़े मामलों में बुरा बर्ताव किया है.

बता दें कि अमेरिका का यह कदम वाशिंगटन और बीजिंग के बीच पहले से तनावपूर्ण चल रहे संबंधों में कड़वाहट बढ़ाने की एक और वजह बन सकता है.

विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि वह तिब्बत में अमेरिकी लोगों के प्रवेश का आह्वान करने वाले अमेरिकी कानून के तहत चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ अधिकारियों समेत अनेक चीनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.

पोम्पियो ने 'रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत' कानून के तहत चीन के अधिकारियों के एक समूह पर वीजा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

पोम्पियो ने मंगलवार को ट्वीट किया था, 'आज मैं पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के उन अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध की घोषणा करता हूं जो तिब्बत में विदेशियों की पहुंच को रोकने का काम कर रहे हैं. हम लगातार चाहते हैं कि हमारे संबंधों में पारस्परिकता बनी रहे.'

उन्होंने बयान में कहा कि चीन, तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (टीएआर) तथा तिब्बत के अन्य क्षेत्रों में अमेरिकी राजनयिकों तथा अन्य अधिकारियों, पत्रकारों और पर्यटकों को जाने से जानबूझकर लगातार रोकता रहा है जबकि दूसरी ओर इसके किसी अधिकारियों एवं नागरिकों के अमेरिका में आने पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है.

पोम्पियो ने कहा कि इसी तरह वह चीन की सरकार तथा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उन अधिकारियों पर वीजा पाबंदी की घोषणा कर रहे हैं जो तिब्बती इलाकों में विदेशियों के प्रवेश से संबंधित नीतियां बनाने और उन्हें कार्यान्वित करने के काम में शामिल हैं.

विदेश मंत्री ने कहा कि उनका यह कदम 'रेसिप्रोकल ऐक्सेस टू तिब्बत कानून (तिब्बत में पारस्परिक पहुंच कानून), 2018' के अनुरूप है.

इसे अमेरिका में कानून के रूप में दिसंबर 2018 में मान्यता दी गई थी. यह उन चीनी अधिकारियों के अमेरिका में प्रवेश को रोकने से संबंधित है जो तिब्बत में विदेशियों के प्रवेश को रोकने का काम करते हैं.

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा तिब्बत में किए जा रहे मानवाधिकार हनन तथा एशिया की प्रमुख नदियों के उद्गम स्थलों के निकट हो रहे पर्यावरणीय क्षरण को रोकने में बीजिंग की विफलता को देखते हुए तिब्बती इलाकों तक पहुंच क्षेत्रीय स्थिरता के लिए लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है.

पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका वहां सतत आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण को गति देने और चीन तथा उसके बाहर भी तिब्बती समुदायों की मानवीय स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम करता रहेगा.

उन्होंने कहा, हम तिब्बती लोगों की सार्थक स्वायत्तता के लिए, उनके बुनियादी तथा अहस्तांतरणीय मानवाधिकारों के लिए, उनके विशिष्ट धर्म, संस्कृति और भाषायी पहचान को संरक्षित रखने की खातिर काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.

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भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित धार्मिक नेता दलाई लामा तिब्बत के लोगों के लिए सार्थक स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं. लेकिन चीन 85 वर्षीय दलाई लामा को 'अलगाववादी' मानता है.

पोम्पियो ने कहा, सही मायनों में पारस्परिकता कायम के लिए हम अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि अमेरिकी लोगों की टीएआर तथा अन्य तिब्बती इलाकों समेत चीनी जन गणराज्य के सभी क्षेत्रों में पूर्ण पहुंच हो.

बजट दस्तावेजों के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2021 में तिब्बती मुद्दों की खातिर 1.7 करोड़ डॉलर के कोष तथा तिब्बती मुद्दों पर विशेष समन्वयक के लिए दस लाख डॉलर के कोष का प्रस्ताव दिया है.

Last Updated : Jul 8, 2020, 9:53 PM IST

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