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काबुल हवाईअड्डे पर खतरा, अमेरिका ने अपने नागरिकों को इलाका छोड़ने को कहा

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Published : Aug 29, 2021, 9:33 AM IST

अफगानिस्तान संकट (Afghan Crisis) पर पूरी दुनिया की नजरें हैं. काबुल एयरपोर्ट पर हुए आईएस के हमले में 182 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद ताजा घटनाक्रम में अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर खतरे को लेकर आगाह किया है. अमेरिका ने अपने नागरिकों से एयरपोर्ट का इलाका छोड़ने की अपील की है.

बाइडेन
बाइडेन

काबुल : अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल हवाईअड्डा क्षेत्र में मौजूद अपने सभी नागरिकों से तत्काल इलाका छोड़ने का अनुरोध किया है. अमेरिका ने क्षेत्र में खतरे की खुफिया जानकारी मिलने पर अपने नागरिकों से यह अनुरोध किया.

विदेश विभाग ने रविवार सुबह दी चेतावनी में कहा कि अमेरिकी नागरिकों को इस वक्त हवाईअड्डे तथा उसके सभी द्वारों की ओर जाने से बचना चाहिए. उसने खासतौर से दक्षिण (एयरपोर्ट सर्किल) द्वार और हवाईअड्डे के उत्तरपश्चिम की ओर पंजशीर पेट्रोल स्टेशन के समीप वाले द्वार का जिक्र किया है.

काबुल में अमेरिकी दूतावास ने एक सिक्योरिटी अलर्ट (US Embassy in Kabul security alert) में कहा कि 'विशिष्ट और विश्वसनीय खतरे के कारण सभी अमेरिकी नागरिकों को तुरंत हवाई अड्डे के क्षेत्र को छोड़ देना चाहिए.'

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गौरतलब है कि हवाईअड्डे पर बृहस्पतिवार को आत्मघाती बम हमले में कम से कम 169 अफगान नागरिक और अमेरिका के 13 सैनिक मारे गए थे.

बता दें कि अफगानिस्तान से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए कई देशों ने अभियान चलाया. इसमें भारत ने भी सैकड़ों लोगों को बाहर निकाला. अफगानिस्तान से निकालकर लाए गए 146 भारतीय नागरिक कतर की राजधानी से चार अलग-अलग विमानों के जरिये गत 23 अगस्त को भारत पहुंचे थे. इन नागरिकों को अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के विमान के जरिए पिछले कुछ दिन में काबुल से दोहा ले जाया गया था. भारत तीन उड़ानों के जरिए दो अफगान सांसदों समेत 392 लोगों को रविवार को देश वापस लाया था.

इससे पहले, 16 अगस्त को 40 से अधिक लोगों को स्वदेश लाया गया था जिनमें से ज्यादातर भारतीय दूतावास के कर्मी थे. काबुल से दूसरे विमान से 150 लोगों को लाया गया, जिनमें भारतीय राजनयिक, अधिकारी, सुरक्षा अधिकारी और कुछ अन्य भारतीय थे, जिन्हें 17 अगस्त को लाया गया था.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.

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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.

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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

(एजेंसी इनपुट)

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