न्यूयॉर्क : शोधकर्ताओं ने ग्रीनलैंड में बर्फ की बदलती स्थिति पर चिंता जताई है. एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि बीती गर्मी के मौसम में ग्रीनलैंड से 600 बिलियन यानी छह खरब टन बर्फ पिघलकर समुद्र में समा गई है. यह केवल दो महीने में समुद्र का वैश्विक जलस्तर 2.2 मिलीमीटर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की वैज्ञानिक और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका इसाबेल वेलिकोग्रा ने कहा, 'हम जानते हैं कि पिछले साल अन्य गुजरे वर्षों के मुकाबले काफी गर्मी थी, जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों पर पड़ा और वे पिघल गईं.' उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड में साल 2002 से साल 2018 के बीच हर साल औसत जितनी बर्फ पिघलती है, उससे कहीं ज्यादा बर्फ केवल पिछले वर्ष पिघली है.
इसाबेल ने बताया कि साल 2002 से लेकर 2019 तक ग्रीनलैंड में 4550 बिलियन (45.50 खरब) टन बर्फ पिघल चुकी है. यदि इसका औसत देखा जाए तो हर वर्ष लगभग 268 बिलियन (2.68 खरब) टन बर्फ पिघली, जो पिछली ग्रीष्म में पिछली बर्फ के मुकाबले लगभग आधा है. इसके खतरे का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि एक साल में अमेरिका के लॉस एंजलिस में जितने पानी का उपयोग होता है, उससे कई गुना ज्यादा बर्फ ग्रीनलैंड में पिघल कर समुद्र में समा गई है. इससे न केवल ग्रीनलैंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए ही खतरा बढ़ता जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, इसका सबसे ज्यादा असर हमारे परिस्थितिकी तंत्र पर पड़ेगा.
पढे़ं :बर्लिन में प्रदर्शनकारियों ने की पर्यावरण के अनुकूल खेती की मांग
एक नए अध्ययन ने इस बात की चेतावनी दी है कि यदि दुनियाभर में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन यथावत बना रहा तो इस सदी के अंत तक ग्रीनलैंड में 4.5 प्रतिशत तक बर्फ पिघल जाएंगी, जिससे समुद्र के स्तर पर 13 इंच की वृद्धि होगी. साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा भी हो सकता है कि साल 3000 तक यहां बर्फ ही न बचे.
अमेरिका में अलास्का फेयरबैंक्स जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट में अनुसंधान के प्रमुख लेखक एंडी ऐशवैनडेन ने कहा, 'आने वाले समय में ग्रीनलैंड कैसा दिखेगा-- दो सौ सालों या एक हजार साल में--या तो वहां हरी घास की भूमि होगी या आज का ग्रीनलैंड होगा, यह सब कुछ हम पर निर्भर है.'
इस रिसर्च में वहां बर्फ की चादर में से नए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया ताकि भविष्य के लिए महत्वपूर्ण खोज की जा सके.