दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

ग्रीनलैंड में पिघली 6 खरब टन बर्फ, पूरी दुनिया में बढ़ सकता है खतरा - ice in Greenland

बीती गर्मी के मौसम में ग्रीनलैंड से 600 बिलियन यानी छह खरब टन बर्फ पिघलकर समुद्र में समा गई है. यह दो महीने में ही समुद्र का वैश्विक जलस्तर 2.2 मिलीमीटर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है. ग्रीनलैंड में साल 2002 से साल 2018 के बीच हर साल औसत जितनी बर्फ पिघली है, उससे कहीं ज्यादा बर्फ केवल पिछले वर्ष पिघली है. पढे़ं खबर विस्तार से...

loss of ice in Greenland
ग्रीनलैंड में पिघली 6 खरब टन बर्फ

By

Published : Mar 26, 2020, 8:30 PM IST

न्यूयॉर्क : शोधकर्ताओं ने ग्रीनलैंड में बर्फ की बदलती स्थिति पर चिंता जताई है. एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि बीती गर्मी के मौसम में ग्रीनलैंड से 600 बिलियन यानी छह खरब टन बर्फ पिघलकर समुद्र में समा गई है. यह केवल दो महीने में समुद्र का वैश्विक जलस्तर 2.2 मिलीमीटर बढ़ाने के लिए पर्याप्त है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की वैज्ञानिक और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका इसाबेल वेलिकोग्रा ने कहा, 'हम जानते हैं कि पिछले साल अन्य गुजरे वर्षों के मुकाबले काफी गर्मी थी, जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों पर पड़ा और वे पिघल गईं.' उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड में साल 2002 से साल 2018 के बीच हर साल औसत जितनी बर्फ पिघलती है, उससे कहीं ज्यादा बर्फ केवल पिछले वर्ष पिघली है.

इसाबेल ने बताया कि साल 2002 से लेकर 2019 तक ग्रीनलैंड में 4550 बिलियन (45.50 खरब) टन बर्फ पिघल चुकी है. यदि इसका औसत देखा जाए तो हर वर्ष लगभग 268 बिलियन (2.68 खरब) टन बर्फ पिघली, जो पिछली ग्रीष्म में पिछली बर्फ के मुकाबले लगभग आधा है. इसके खतरे का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि एक साल में अमेरिका के लॉस एंजलिस में जितने पानी का उपयोग होता है, उससे कई गुना ज्यादा बर्फ ग्रीनलैंड में पिघल कर समुद्र में समा गई है. इससे न केवल ग्रीनलैंड बल्कि पूरी दुनिया के लिए ही खतरा बढ़ता जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, इसका सबसे ज्यादा असर हमारे परिस्थितिकी तंत्र पर पड़ेगा.

पढे़ं :बर्लिन में प्रदर्शनकारियों ने की पर्यावरण के अनुकूल खेती की मांग

एक नए अध्ययन ने इस बात की चेतावनी दी है कि यदि दुनियाभर में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन यथावत बना रहा तो इस सदी के अंत तक ग्रीनलैंड में 4.5 प्रतिशत तक बर्फ पिघल जाएंगी, जिससे समुद्र के स्तर पर 13 इंच की वृद्धि होगी. साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ऐसा भी हो सकता है कि साल 3000 तक यहां बर्फ ही न बचे.

अमेरिका में अलास्का फेयरबैंक्स जियोफिजिकल इंस्टीट्यूट में अनुसंधान के प्रमुख लेखक एंडी ऐशवैनडेन ने कहा, 'आने वाले समय में ग्रीनलैंड कैसा दिखेगा-- दो सौ सालों या एक हजार साल में--या तो वहां हरी घास की भूमि होगी या आज का ग्रीनलैंड होगा, यह सब कुछ हम पर निर्भर है.'

इस रिसर्च में वहां बर्फ की चादर में से नए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया ताकि भविष्य के लिए महत्वपूर्ण खोज की जा सके.

यह निष्कर्ष ग्रीनहाउस गैस सांद्रता और वायुमंडलीय स्थितियों के लिए विभिन्न तथ्यों पर आधारित बर्फ के पिघलने और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि के लिए परिदृश्यों की एक विस्तृत शृंखला प्रदर्शित करती है.

पढ़ें :सावधान! 2030 तक उत्सर्जित गैसों से 20 सेमी बढ़ जाएगा समुद्री जलस्तर

वर्तमान समय में, धरती ग्रीन हाउस गैस सांद्रता के उच्च अनुमानों की ओर बढ़ रही है.

ग्रीनलैंड में बर्फ की चादरें काफी बड़ी हैं जो 660,000 वर्ग मील में फैली हुईं हैं. आज यही बर्फ की चादरें 81 प्रतिशत ग्रीनलैंड को घेरे हुईं हैं, जिनमें धरती के शुद्ध जल निकायों में से आठ शामिल हैं.

अध्ययन में कहा गया कि यदि ग्रीन हाउस गैस सांद्रता ऐसी ही बनी रही तो सिर्फ ग्रीनलैंड से पिघलने वाली बर्फ साल 3000 तक दुनियाभर में समुद्र के स्तर में 24 प्रतिशत वृद्धि ला सकती है, जिससे सैन फ्रांसिसको, लॉस एंजलिस, न्यू ऑर्लीन्स और कई अन्य शहर पानी के अंदर समा सकते हैं.

इस टीम ने नासा के हवाई विज्ञान के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, जिसे 'ऑपरेशन आइस ब्रिज' कहा जाता है.

ऑपरेशन आइस ब्रिज ऐसे एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करता है, जिसमें सभी वैज्ञानिक उपकरण होते हैं. इनमें तीन तरह के रडार शामिल हैं, जो बर्फ की सतह की नाप ले सकते हैं.

साल 1991 और 2015 के बीच हर साल ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों ने समुद्र स्तर में लगभग 0.02 इंच की वृद्धि की है और इसमें लगातार बढ़ोतरी जारी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details