नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए 40 मंजिला टावरों काे गिराने का आदेश दिया है. बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा में सुपरटेक बिल्डर्स की एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में भवन मानदंडों के उल्लंघन के कारण दो 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, बिल्डिंग को गिराने का काम अपीलकर्ता सुपरटेक तीन माह के भीतर नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्चे पर करेगा. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि दाे महीने के भीतर घर खरीदारों की पूरी राशि बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस की जाए और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) को ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुई परेशानी (उत्पीड़न) के लिए 2 करोड़ रुपये का मुआवजा भी दिया जाए.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि 11 अप्रैल, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला, जिसमें ट्वीन टावरों को गिराने का निर्देश दिया था इसमें किसी भी तरह की हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. इसने कहा कि सुपरटेक के दो 40 मंजिला टावरों में 915 फ्लैट और दुकाने हैं जो नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत से किया गया था
पीठ ने कहा कि नोएडा और एक विशेषज्ञ एजेंसी की देखरेख में तीन महीने के भीतर दो टावरों को गिराने का काम किया जाएगा और इसका खर्च सुपरटेक लिमिटेड को वहन करना होगा. शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है, जो डेवलपर्स और शहरी नियोजन अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम है और कहा कि नियमों के इस तरह के उल्लंघन से सख्त तरीके से निपटने की आवश्यकता है.
इस महीने की शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को एक हरे क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक के दो आवासीय टावरों को मंजूरी देने में पावर का चौंकाने वाला इस्तेमाल (Shocking exercise of power) के लिए फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने यह भी बताया कि प्राधिकरण ने भवन योजनाओं के बारे में घर खरीदारों से सूचना के अधिकार के अनुरोध को रोक दिया है.