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Sulochana Latkar Funeral: मुंबई में राजकीय सम्मान के साथ एक्ट्रेस सुलोचना का हुआ अंतिम संस्कार - सुलोचना लटकर

सुलोचना लटकर, जिन्होंने मराठी और हिंदी फिल्मों में कई मां की भूमिकाएं निभाईं, ने बीते रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ मराठी एक्ट्रेस सुलोचना का अंतिम संस्कार किया गया.

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Published : Jun 5, 2023, 8:32 PM IST

मुंबई: लोकप्रिय अभिनेत्री सुलोचना लटकर, जिन्होंने मराठी और हिंदी फिल्मों में कई मां की भूमिकाएं निभाईं, ने उम्र से संबंधित समस्याओं के कारण बीते रविवार (4 जून) को मुंबई में अंतिम सांस ली. सोमवार को दादर श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ वरिष्ठ अभिनेत्री सुलोचना लटकर का अंतिम संस्कार किया गया. मुंबई पुलिस ने उन्हें आखिरी सलामी दी.

सुलोचना लटकर का रविवार को निधन हो गया. वह 94 साल की थीं. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मुंबई के सुश्रुसा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सुलोचना पिछले कुछ महीनों से सांस की समस्या से जूझ रही थीं. निधन की सूचना मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन और हिंदी और मराठी फिल्म इंडस्ट्री के कई अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने सुलोचना दीदी के साथ अपनी यादों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सुलोचना के घर गए और उनके पार्थिव शरीर के दर्शन किए. इस मौके पर दिग्गज अभिनेता सचिन पिलगांवकर भी मौजूद थे.

राजकीय सम्मान के साथ एक्ट्रेस सुलोचना का हुआ अंतिम संस्कार

सुलोचना दीदी को फिल्म इंडस्ट्री की जननी कहा जाता है. पर्दे पर जिस मां का किरदार उन्होंने निभाया वह आज भी कई लोगों की आंखों के सामने है. इसलिए उन्हें आदरपूर्वक 'दीदी' कहा जाता है. सुलोचना का जन्म 30 जुलाई 1928 को हुआ था. उनकी शादी 1942 में हुई थी. उस वक्त उनकी उम्र महज 14 साल थी. दीदी कोल्हापुर में थीं और वहां मशहूर जयाप्रभा स्टूडियो था. इस स्टूडियो के मालिक मराठी सिनेमा के एक बहुत बड़े नाम भालजी पेंढारकर थे. उनके सान्निध्य में सुलोचना ने अभिनय की कला सीखी.

सुलोचना की फिल्में
सुलोचना लतकर ने 1940 के दशक में मराठी फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने 250 से अधिक हिंदी और 50 से अधिक मराठी फिल्मों में अभिनय किया है. 'जब प्यार किसी से होता है', 'दुनिया', 'अमीर गरीब', 'बहारों के सपने', 'कटी पतंग', 'मेरे जीवन साथी', 'प्यार मोहब्बत', 'जॉनी मेरा नाम', 'वारंट', 'जोशिला', 'डोली', 'प्रेम नगर', 'अकरमन', 'भोला भला', 'त्याग', 'आशिक हूं बहारों का', 'अधिकार', 'नई रोशनी', 'ऐ दिन बहार के', ' लोगों ने ऐ मिलन की बेला', 'अब दिल्ली दूर नहीं', 'मजबूर', 'गोरा और काला', 'देवर', 'कहानी किस्मत की', 'तलाश' और 'आज़ाद' जैसी फिल्मों में उनके काम को पसंद किया.

अवॉर्ड
सुलोचना लतकर को मराठी और हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इन पुरस्कारों में उन्हें 1999 में पद्म श्री और 2004 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला.

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