मुंबई: दिग्गज बॉलीवुड एक्ट्रेस शबाना आजमी ने 'अमेरिकी फिल्म प्रमाणन प्रणाली' (US Film Certification System) को लेकर बात की. इसके साथ ही दिग्गज एक्ट्रेस ने इस सिस्टम को अपनाने की जरुरत पर भी जोर दिया है. एक्ट्रेस का मानना है कि सेंसर बोर्ड को नहीं बल्कि फिल्म निर्माताओं को यह तय करना चाहिए कि फिल्म में किसी सीन को हटाने की जरुरत है या नहीं. एक्ट्रेस ने एक प्रोग्राम के दौरान रविवार को 'पठान' विवाद के (Pathaan Controversy) मद्देनजर यह बात कही.
एक सवाल के जवाब में पांच बार की राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड विनर (Shabana Azmi) ने कहा, 'सेंसर बोर्ड जो करता है वह उसका काम नहीं होना चाहिए, इस काम के लिए खुद फिल्म निर्माता या कलाकारों को निर्णय लेना चाहिए, यही सही है. कलाकारों और फिल्म निर्माताओं को अच्छे से पता होता है कि कहां किस जगह फिल्म में कट लगाना है. अमेरिका में ऐसी प्रणाली है और हमें भी उसको अपनाना चाहिए.
एक्ट्रेस ने कहा कि 'हमारा देश ब्रिटेन की सेंसरशिप शैली को (Shabana Azmi on Pathaan controversy) फॉलो करता है, जिसमें सरकार द्वारा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों या शिक्षाविद्, समाजशास्त्री आदि जैसे व्यवसायों से लगभग 30 लोगों को चुना जाता है और उन्हें हर पांच साल में देश की नैतिकता को बदलने के लिए निर्णय पर बैठाया जाता है. उन्होंने कहा उस समय की राजनीतिक व्यवस्था के हिसाब से यह सही था, खैर यह कोई ऐसी बात नहीं है कि लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है कि जिन लोगों को वहां बैठाया जाता है, उनका संबंध सत्ता पक्ष से होता है.
पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित एक्ट्रेस शबाना आजमी ने कहा, 'मैं कई सालों से चिल्ला रही हूं कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 में संशोधन की जरुरत है. जब कोई फिल्म को दिखाने के सर्टिफिकेट मिल जाता है तो फिर कानून व्यवस्था की समस्या नहीं होनी चाहिए. अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है कि आप कठोर शब्द बोल सकते हैं, लेकिन अगर यह सांप्रदायिक दंगों को ट्रिगर करता है तो इसे संभालने और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सरकार की हो जाती है.
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