हैदराबाद :अहिंसा के पुजारीमोहनदास करमचंद गांधी की आज 75वीं पुण्यतिथि है. 30 जनवरी 1948 को दिन धर्मांध नाथूरा गोडसे ने दिल्ली के बिरला हाउस में 'बापू' को बेखौफ होकर गोलियों से छलनी कर दिया था. यह हादसा उस वक्त हुआ था कि जब भारत अंग्रेजों का मुकाबला कर ताजी-ताजी आजादी का जश्न बना रहा था. भारत को आजाद हुए पूरे 5 साल भी नहीं हुए थे कि 79 साल की उम्र में बापू मौत के मुंह में समा गए थे. देश की आजादी में महात्मा गांधी का कितना हाथ रहा है इस पर आज भी बहस जारी है. ऐसे में सिनेमाई दुनिया में भी गांधी के निजी और राजनीतिक सफर पर बार-बार रोशनी डाली गई है. इन फिल्मों में गांधी जी के महात्मा से राष्ट्रपिता बनने का सफर नजर आता है.
गांधी के त्याग-बलिदान व विचारों पर कई किताबें भी लिखी गई हैं. ऐसे में हॉलीवुड डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' भी बापू के जीवन को दर्शाती है. गांधी के जीवन का शायद ही कोई पहलु हो, जिसपर फिल्म ना बनी हो. बापू को जानना और अच्छे से समझना है तो नीचे दी गईं ये फिल्में आपके लिए बड़ी मददगार साबित हो सकती हैं.
गांधी: आसान भाषा में बापू की बायोग्राफी
साल 1982 में ब्रिटिश डायरेक्टर रिचर्ड एटनबरो ने राष्ट्रपति पर फिल्म 'गांधी' बनाई थी. फिल्म ने देश और दुनिया में खूब धूम मचाई थी. फिल्म में गांधी के किरदार में हॉलीवुड एक्टर बेन किंस्ले को फिट किया गया था. इस फिल्म को ऑस्कर से नवाजा गया था. रिचर्ड ने अपनी इस फिल्म में बापू को बायोग्राफी को आसान भाषा में समझाया था.
द मेकिंग ऑफ गांधी: बापू के महात्मा बनने का सफर
आज भी कई विपरित विचारधारा के लोग गांधी को महात्मा कहने पर मुंह फेर लेते हैं. लेकिन अगर आपको जानना है कि आखिर गांधी को महात्मा की उपाधि क्यों कैसे मिली तो फिल्म 'द मेकिंग ऑफ गांधी' इसमें आपकी मदद करेगी. मशहूर फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने बापू के महात्मा बनने के सफर को फिल्म द मेकिंग ऑफ गांधी में दिखाया है. साल 1996 में रिलीज हुई फिल्म में एक्टर रजत कपूर गांधी के रोल में दिखे थे.
लगे रहो मुन्नाभाई : अहिंसा का पाठ पढ़ाती है
विश्वभर में अगर कोई शख्स अंहिसा के नाम से जाना जाता है, तो वो एकमात्र शख्स हैं महात्मा गांधी. बापू कितने अंहिसावादी और विनम्र नैचर के थे, यह जानने के लिए साल 2006 में आई फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई देखनी चाहिए. बॉलीवुड के सफल डायरेक्टर में से एक राजकुमारी हिरानी ने इस फिल्म को बड़ी खूबसूरती पेश किया है. इस फिल्म में संजय दत्त ने लोगों के साथ-साथ खुद भी 'गांधीगिरी' (अंहिसावादी) का पाठ पढ़ा है. साल 2006 में रिलीज हुई इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा में भूचाल ला दिया था.
- वैचारिक मतभेदों के चलते इन फिल्मों पर उठे सवाल
भारत की आजादी में महात्मा गांधी का कितना योगदान था, यह सवाल आज भी ज्वलंत है. ऐसे में भारतीय स्वतंत्रता आदेालन में गांधी एक विचार बनकर रह गए. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी के समकालीन नेताओं से वैचारिक मतभेदों पर आधारित फिल्में भी बनाई गईं, जिनपर सवाल भी खड़े हुए.
'सरदार'
इस बाबत साल 1993 में फिल्म 'सरदार' रिलीज हुई. इस फिल्म में गांधी और सरदार पटेल के विचारों में विरोधाभास और मतभेद को दिखाने की कोशिश की गई है. इस फिल्म से आपको गांधी और सरदार के बीच रिश्ते को समझने में आसानी होगी. फिल्म ने अन्नू कपूर ने गांधी का रोल प्ले किया था और परेश रावल लौहपुरुष सरदार पटेल की भूमिका में दिखे थे.
'डॉ. बाबा साहब अंबेडकर'