मुंबई:हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सफल होने के कई पैमाने हैं, किसी एक्टर को कैसा कैरेक्टर मिला, उसके हिस्से में कैसे डायलॉग आए या फिल्म में उसका स्क्रीन टाइम कितना था. लेकिन भारत ही नहीं दुनिया भर में बहुत कम ऐसे एक्टर या कलाकार हुए जो इन सबके परे जाकर दर्शकों की दिलों में बस गये. भारत में दशकों तक 'सुपर स्टार हीरो' को सफल अभिनेताओं के रूप में देखा जाता रहा. वहीं, नेगेटिव कैरेक्टर प्ले करने वाले अभिनेताओं को वास्तविक जीवन में भी 'नफरत' का सामना करना पड़ा. फिर हिंदी सिनेमा का दौर बदला और पर्दे पर नजर आये इरफान. हिंदी सिनेमा को 'हासिल' हुआ एक ऐसा अभिनेता जिसने कैमरे से आंखें मिलाईं और सीधे दर्शकों के दिलों में घर कर लिया.
हीरो-विलेन की इमेज से परे सितारा
यह कहना अतिशियोक्ति भी हो तो भी कहना जरूरी है कि हिंदी सिनेमा में इरफान की पहचान 'हीरो' या 'विलेन' से परे जाकर एक मंझे हुए कलाकार के रूप में बनी. वह चाहे किसी साधारण व्यक्ति का किरदार हो या किसी गैंगस्टर का दर्शकों ने उनके किरदार से ज्यादा उनके अभिनय पर प्यार दिखाया. 'हासिल', 'मकबूल', 'द किलर', 'डेड लाइन : सिर्फ 24 घंटे की', 'नॉक आउट' 'पजल' और सात खून माफ जैसी फिल्मों में इरफान के किरदार या तो ग्रे थे या निगेटिव... लेकिन इन फिल्मों को देखकर किसी दर्शक ने कभी ये नहीं कहा कि हिंदी सिनेमा को एक नया विलेन मिल गया है.
नेगेटिव किरदार की भी हुई सराहना
इरफान ने इन किरदारों को भी इस तरह निभाया की दर्शकों के मन में उनके लिए एक अलग जगह बन गई. यह इरफान की बड़ी-बड़ी आंखों और शानदार एक्टिंग स्किल का ही कमाल था कि दर्शकों को उनका ग्रे शेड कैरेक्टर भी खासा पसंद आया. ये कहना गलत नहीं होगा कि इरफान ने अपनी एक्टिंग के दम पर जिंदगी और किरदारों के ग्रे शेड को सिल्वर स्क्रीन पर नई चमक दी.