हैदराबाद :हॉलीवुड की मच अवेटेड फिल्म'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' (Avatar The Way of Water movie Review) या फिर आप इसे 'अवतार-2' भी कह सकते हैं, जो भारत में आगामी 16 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है. फिल्म की एडवांस बुकिंग में जबरदस्त कमाई हो चुकी है और अब दर्शक अपनी कुर्सी की पेटी बांधने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले नजर डालते हैं फिल्म के रिव्यू पर. मानते हैं कि फिल्म को देखने की एक ही वजह है कि इसे मेगाब्लॉकबस्टर फिल्म 'टाइटैनिक' फेम डायरेक्टर जेम्स कैमरून ने डायरेक्ट किया है, लेकिन यकीन मानिए रिव्यू पढ़ने के बाद हमें नहीं लगता है कि आप 16 दिसंबर यानि 1 दिन का भी इंतजार कर पाएंगे. रिव्यू में हम आपको वो वजह बताएंगे जो आपको फिल्म देखने के लिए मजबूर कर देंगी. अगर आपने फिल्म का साल 2009 में आया पहला भाग नहीं देखा है, तो आज (15 दिसंबर) का दिन ही बचा है, तुरंत देख ले. वो इसलिए क्योंकि आपको फिल्म के दूसरे भाग को समझने के लिए दिमाग के घोड़े ज्यादा नहीं दौड़ाने होंगे.
चलिए शुरू करते हैं आखिर क्यों देखनी चाहिए फिल्म
'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' को आप 'अवतार-2' मानें, क्योंकि आगे हम इसी नाम से फिल्म की कहानी को बढ़ाने जा रहे हैं. डायरेक्टर जेम्स कैमरून बहुत चालक और तेज बुद्धि के हैं, यह हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि फिल्म 'अवतार-2' की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां से पहली फिल्म ने दम तोड़ा था. जेम्स ने ऐसा इसलिए किया है, ताकि जिन दर्शकों ने फिल्म का पहला भाग देखा है, उन्हें फिल्म 'करण-अर्जुन' के शाहरुख-सलमान की तरह पिछले जन्म की सारी कहानी दिमाग में तेजी से दौड़ जाएगी.
हां, तो हम बता रहे थे कि पहली अवतार के अंत सीन में पैंडोरा गृह (जैक सूली और उसकी प्रजाति की दुनिया) से इंसानी दानवों के जाने के बाद सुरक्षित है, लेकिन ढीठ कर्नल क्वारिच (फिल्म का मुख्य विलेन) अपनी हार के बाद भी चैन से नहीं बैठता है और एक फिर बार जैक सूली और उसकी प्रजाति को खत्म कर पैंडोरा गृह को अपने वश में करना चाहता है. इस बार जैक सूली और उसका समुदाय कैसे इस दानव कर्नल क्वारिच का सामना करेगा? क्या कर्नल क्वारिच इस बार अपने अमानवीय टागरेट को पूरा कर पाएगा और क्या जैक (फिल्म का वो अहम किरदार जिसे मशीन द्वारा जैक सूली बनाकर पैंडोरा गृह में भेजा जाता है) की कोई मदद करेगा या नहीं? ऐसी ही कई वजह से जो यह फिल्म देखने के लिए मजूबर करेंगी.
फिल्म की खास बातें
पहले आपको एक बात बता दें, साल 2009 का दौर सोशल मीडिया और मोबाइल वाला दौर नहीं था और लोग इतने हाईटेक और एडवांस भी नहीं थे. इसलिए फिल्म अवतार (2009) का अनुभव उस दौर का सबसे विचित्र सिनेमाई अनुभव था, जो कि लोगों के लिए नया था. 13 साल पहले रिलीज हुई फिल्म 'अवतार' का दूसरा भाग अपने तकनीक पक्ष में और भी ज्यादा एडवांस और मजबूत है, क्योंकि इन 13 सालों में टेक्नोलॉजी ने कितना विस्तार किया है, बताने की जरूरत नहीं है. 'अवतार -2' अपने रियल वीएफएक्स और रोंगटे खड़े कर देने वाले विजुअल्स से ताली और सीटी बजाने पर मजबूर कर देगी.