मुंबई:रामानंद सागर की 'रामायण' में प्रभु श्रीराम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल का आज (12 जनवरी को) जन्मदिन (Arun Govil Birthday) है. वह एक भारतीय टेलीविजन अभिनेता हैं. अरुण गोविल ने कई टीवी सीरियल और बॉलीवुड फिल्में की. लेकिन उन्हें रामायण में 'राम' की भूमिका से ही बड़ी प्रसिद्धि और लोकप्रियता मिली. इस अभिनय के बाद अरुण की छवि ऐसी बनी कि लोग उनकी पूजा करने लगें. इतना ही नहीं, जब वे विदेश जाते थे तो वहां भी लोग उनके पैर छूने लगते थे. इतनी प्रसिद्धि और लोकप्रियता मिलने के बाद भी अरुण गोविल अचानक बड़े पर्दे से गायब हो गए. तो चलिए जानते हैं कि कहां और आजकल क्या कर रहे हैं रामायण के 'राम'...
अरुण गोविल की जीवनी
रामायण के 'राम' अरुण गोविल का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ के रामनगर में 12 जनवरी 1958 (आयु 65 वर्ष, 2023 तक) को हुआ था. उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बीएससी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह नाटक में अभिनय करने लगें. अरुण के पिता चाहते थे कि अरुण सरकारी नौकरी करे, लेकिन अरुण अपने पिता की सोच के ठीक विपरित थें. अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे, जिससे लोग उन्हें हमेशा याद रखें. अपना सपना पूरा करने के लिए वह 1975 में मुंबई चले गए. यहां आकर उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया. जब कुछ समय बीता तब उन्हें अभिनय करने के लिए नए-नए मौके मिलने लगे. बता दें कि अरुण गोविल हमेशा खुद को फिट रखते हैं और वे हेल्थ कॉन्शियस भी हैं.
1987 में रामायण से मिली नई पहचान
1987 में रामानंद सागर 'रामायण' सीरियल की तैयारी कर रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण गोयल खुद रामानंद सागर के पास गए थे और उनसे मुख्य किरदार निभाने की बात कही. इसके बाद अरुण ने ऑडिशन दिया, जिसमें उनका सेलेक्शन भरत या लक्ष्मण के लिए किया गया. उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया. उन्होंने यह निश्चय कर लिया था कि वह रोल निभाएंगे तो भगवान राम का. जिसके बाद उन्हें भगवान राम का किरदार निभाने को मिला, जिसे उन्होंने बड़े ही सरलता से निभाया.
अरुण का एक किस्सा काफी मसहूर है. अरुण रामायण के एक सीन के लिए वाराणसी गए हुए थे. वे काशी के घाट पर राम के पोशाक में थे. उन्हें इस पोशाक में देखकर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. अरुण गोविल के लोग पैर छूने लगे थे. इस किरदार के बाद उनका खुलेआम घूमना मुश्किल हो गया था. अरुण गोयल जब विदेश भी जाते थे तब वहां भी लोग उनका पैर छूते थे और उनकी पूजा करने लगते थे. अरुण ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि राम की भूमिका इतना प्रसिद्ध हो गया था कि कोई भी निर्माता उन्हें किसी रोल के लिए अप्रोच नहीं करता था. निर्माताओं को लगता था कि उन्हें कमर्शियल फिल्म में देखना जनता को पसंद नहीं.
अरुण गोविल का फिल्मी करियर
अरुण को थिएटर का काफी शौक था. 1977 में राजश्री प्रोडक्शन के तारा सिंह बड़जात्या ने उन्हें फिल्म 'पहेली' के लिए साइन किया. इस फिल्म में उन्हें बलराम को रोल मिला था. यह फिल्म अरुण की पहली फिल्म थी. इस फिल्म में उनके अभिनय को सराहा गया. 1979 में 'सावन को आने दो' में अभिनय करने का मौका मिला. इस फिल्म ने अरुण को नई पहचान दिलाई. वहीं, इस फिल्म के गाने सुपरहिट रहे, जिसके बाद उन्हें 'स्टार ऑफ टुमारो' के नाम से पुकारा जाने लगा था. इस फिल्म के बाद से ही अरुण को नए-नए फिल्मों के ऑफर मिलने लगे. अरुण ने 'सावन को आने दो' के बाद फिल्म 1982 में 'अय्याश', 1982 में 'भूमि' जो की बृज भाषा में बनी थी, 1983 में 'हिम्मतवाला', 1985 में 'बादल', 1992 में 'शिव महिमा', 1994 में 'कानून', 1997 में 'दो आंखें बारह हाथ' और 1997 में 'लव कुश' फिल्में की. बता दें कि फिल्म 'लव कुश' के बाद अरुण ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया. इसके बाद वे बड़े पर्दे पर नहीं दिखें.
लंबे समय के बाद बड़े पर्दे पर की वापसी
लंबे समय से पर्दे से दूर रहने के बाद अरुण गोविल की फिर से वापसी हुई. दरअसल कोरोना काल में दूरदर्शन पर फिर से 'रामायण' का प्रसारण किया गया. जिसके बाद अरुण गोयल फिर से सुर्खियों में आने लगे. मई 2021 में वह बीजेपी में शामिल हो गए. वर्तमान में वह राजनीति के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं. उनका पूरा फोकस अपने राजनीति करियर पर है. वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोगों के बीच अपने विचार रखते हैं. बता दें कि 2022 में वह अपने को-एक्ट्रेस दीपिका चिलखिया के साथ एक रियलिटी शो में भी दिखे थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण ओह माई गॉड-2 में अहम किरदार निभाते नजर आ सकते हैं.
यह भी पढ़ें:अभिनेता अरुण गोविल ने की बांके बिहारी की पूजा अर्चना, मंदिर में लगे जय श्रीराम के नारे