नई दिल्लीःकिसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज हुए विभिन्न आपराधिक मामलों को सरकार वापस लेने का ऐलान कर चुकी है. इनमें लाल किला हिंसा का मामला भी शामिल है, जिसमें 400 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इन मामलों को वापस लेने के लिए, उन्हें पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा, जिसमें कई महीनों का समय लग सकता है. इसके बाद जिन पर आरोपपत्र दाखिल हुए हैं, वह बरी होंगे. वहीं, जिन पर आरोपपत्र दाखिल नहीं हुए हैं, वह डिस्चार्ज करवाये जाएंगे.
किसानों के खिलाफ कैसे वापस होंगे पुलिस केस, जानिए कानूनी प्रक्रिया - दिल्ली किसान आंदोलन पुलिस केस
किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज हुए विभिन्न आपराधिक मामलों को सरकार वापस लेने का ऐलान कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि किसी मामले को वापस लेने की प्रक्रिया के बारे में सीआरपीसी की धारा 123 में विस्तार से बताया गया है. इसमें यह साफ कहा गया है कि जनता के हित में अगर किसी मामले को सरकार वापस लेना चाहे तो सरकारी वकील इसके लिए अदालत में अपील कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि किसी मामले को वापस लेने की प्रक्रिया के बारे में सीआरपीसी की धारा 321 में विस्तार से बताया गया है. इसमें यह साफ कहा गया है कि जनता के हित में अगर किसी मामले को सरकार वापस लेना चाहे तो सरकारी वकील इसके लिए अदालत में अपील कर सकता है. लेकिन सरकारी वकील को यह बताना होगा कि यह मामला वापस लेना कैसे जनता के हित में है. अगर अदालत अपील से संतुष्ट होती है तो वह उसे मंजूर कर लेती है. लेकिन अगर अदालत को यह जनता के हित का मामला नहीं लगता तो वह उसे नकार भी सकती है.
ये भी पढ़ेंः ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप