नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के गांव बिसरख में रावण का जन्म हुआ था. बिसरख गांव का नाम रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा के नाम पर रखा गया है. कहा जाता है इसी गांव में रावण की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने रावण को दर्शन दिए थे.
रावण का जन्म स्थल बिसरख गांव बिसरख के प्राचीन मंदिर में एक गुफा भी है जहां रावण शिवलिंग की पूजा करता था और गाजियाबाद में बने दुधेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव को दूध अर्पित करने जाता था. 'त्रेता युग की ज्योतिर्लिंग'
मंदिर के पुजारी विनय भारद्वाज बताते हैं कि शिवलिंग ऋषि विश्वश्रवा (रावण के पिता) ने स्थापित की है. शिवलिंग की खासियत बताते हुए पुजारी बताते हैं कि ये सिद्ध शिवलिंग है इस पर जल चढ़ाया जाए या नहीं ये सदैव गीला रहता है. ये शिवलिंग त्रेता युग मे स्थापित किया गया है. रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा की मूर्ति 'अंतहीन शिवलिंग'
पुजारी ने बताया कि शिवलिंग की गहराई कोई नहीं नाप सका है. एक बार इसकी खुदाई भी हुई लेकिन शिवलिंग के अंत तक नहीं पहुंचा जा सका है.
'दशहरे के दिन गांव में मायूसी'
आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण के गांव बिसरख में पुजारी बताते हैं कि दशहरे के दिन लोगों के चेहरे पर मायूसी रहती है. दशहरे के दिन यहां ऐसा प्रभाव रहता है. यहां ना तो रावण फूंका जाता है और ना ही रामलीला होती है.
'मंदिर में गुफा'
ग्रेटर नोएडा के गांव में बीच सड़क पर बने प्राचीन मंदिर में एक गुफा है. मंदिर के एक सेवक ने बताया कि प्राचीन मंदिर में अष्टभुजा शिवलिंग स्थापित है.
उन्होंने बताया कि शिवलिंग की पूजा करने के बाद रावण इस खास गुफा से गाजियाबाद में बने दूधेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव के मंदिर जाते थे.
इस मंदिर की खासियत यह भी है कि यहां पर भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति स्थापित है. यह मूर्ति अपने आप में खास है क्योंकि पूरे भारत में इस तरह की मूर्ति सिर्फ दो जगह स्थापित है. एक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के गांव बटेश्वर में और दूसरा ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में.