नई दिल्ली: दो वक्त की रोटी मय्यसर हो, इसके लिए न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. गरीब तबके से आने वाले बच्चे इन दिनों खाने की तलाश में किसान आंदोलन में पहुंच रहे हैं. यहां आंदोलनरत किसानों के लिए बनने वाले भोजन से अपनी भूख मिटा रहे हैं. नोएडा के सेक्टर-14ए स्थित चिल्ला बॉर्डर पर पास की झुग्गियों से ठिठुरन को मात देकर गरीब बच्चे रोज़ाना खाने के लिए पहुंचते हैं.
चिल्ला बॉर्डर पर खाना खाते गरीब बच्चे क्या इन्हीं बच्चों के लिए बना है सर्व शिक्षा कानून?
ईटीवी भारत से बातचीत में आंदोलन कर रहे किसानों ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 8वीं कक्षा तक पढ़ने का अधिकार है. इसके बावजूद यह बच्चे वंचित हैं. कूड़ा बीनने वाले इन बच्चों की उम्र 3 साल से 14 वर्ष के बीच है. इनको देखकर बिल्कुल नहीं लगता कि शिक्षा से जुड़े कानून इनके लिए ही बने हैं.
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जब पढ़ेगा, तभी बढ़ेगा इंडिया
किसान अशोक चौहान ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री जिस युवा की बात करते हैं, उसी का भविष्य अंधकार में है. सरकार किसानों की बात बाद में सुने, लेकिन पहले इन बच्चों का भविष्य सुधार दे. देश पढ़ेगा नहीं, तो डिजिटल इंडिया की बात करना कहां तक ठीक है.