नई दिल्ली/नोएडाःआखिर वो दिन आ ही गया, जब नोएडा के ट्विन टावर्स को विस्फोटक लगाकर ध्वस्त करने की उल्टी गिनती शुरू हो गई। कुछ घंटों बाद यह धूल के गुबार और मलबे के ढेर में बदल जाएगी. इसके साथ ही बहुत सारे लोगों के सपने भी ध्वस्त हो जाएंगे। लेकिन यह नजीर बनेगी कि नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार की नींव पर बनी इमारत कितनी भी बुलंद क्यों न लगे, उसका एक दिन यही हस्र होगा.
नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित बहुचर्चित सुपरटेक का ट्विन टावर रविवार, 28 अगस्त को ध्वस्त कर दिया जाएगा. देश में पहली बार इतनी ऊंची बिल्डिंग को नई तकनीकी से गिराया जाएगा. भ्रष्टाचार की नींव पर बनी सुपरटेक एमराल्ड हाउसिंग सोसायटी के इन दोनों टावर एपेक्स और सियान की ऊंचाई करीब 101-94 मीटर है. इसको गिराने का जिम्मा एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी के पास है. दरअसल, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) ने इसके लिए एनओसी प्रदान किया और इसकी स्टेटस रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गिराने को मंजूरी दी.
ट्विन टावर को लेकर नोएडा प्राधिकरण के फैसले के अनुसार एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग तथा एटीएस विलेज के फ्लैटधारकों को 28 अगस्त 2022 को प्रातः 7 बजे अपने-अपने अपार्टमेन्ट्स खाली करने होंगे. एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग तथा एटीएस विलेज का सिक्योरिटी स्टाफ दोपहर 12 बजे तक इन परिसरों की देखरेख के लिए रह सकता है, लेकिन सिक्योरिटी स्टाफ को भी दोपहर 12 बजे तक दोनों परिसर खाली करने होंगे. दोनों सोसायटी में रहने वाले लोगों को अपने-अपने वाहन भी परिसर से निकालने होंगे. आदेश के अनुसार यदि किसी फ्लैट स्वामी के पास एक से अधिक वाहन है और परिसर के बाहर वाहन खड़ा करने की व्यवस्था नही है, तो प्राधिकरण द्वारा वाहनों को पार्क किये जाने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.
कहां और क्या-क्या रहेगा प्रतिबंधित
रविवार, 28 अगस्त को ट्विन टावर्स के ध्वस्तीकरण के उपरान्त एडिफिस इंजीनियरिंग द्वारा क्लियरेंस दिये जाने पर शाम 4 बजे के बाद फ्लैट स्वामी अपने-अपने घर वापस आ सकते हैं. इससे पहले, सुरक्षित ध्वस्तीकरण के लिए ट्विन टावर्स के चारों ओर कुछ दूरी तक नागरिकों, वाहनों, जानवरों का आवागमन पूर्णतः बन्द रहेगा. उत्तर दिशा में एमेराल्ड कोर्ट के सहारे निर्मित सड़क तक दक्षिण दिशा में दिल्ली की ओर जाने वाले एक्सप्रेस-वे की सर्विस रोड़ तक, पूर्व में सृष्टि तथा एटीएस विलेज के मध्य निर्मित सड़क तक तथा पश्चिम में पार्क से जुड़े फ्लाई ओवर तक एक्सक्लूजन जोन निर्धारित किए गए हैं. दोपहर 2:15 से 2:45 बजे तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक पूर्णतः बन्द रहेगा. आपातकालीन सर्विसेस के लिए आवश्यक फायर टेंडर, एम्बुलेंस आदि ट्विन टावर्स के सामने स्थित पार्क के पीछे निर्मित रोड पर खड़ी रहेंगी.
क्या कहती है ट्रैफिक पुलिस
नोएडा ट्रैफिक के डीसीपी गणेश प्रसाद साहा के अनुसार ट्विन टावर मामले में डायवर्जन का खाका तैयार कर लिया गया है. दोनों दिन करीब छह से सात घंटे एक्सप्रेस-वे पर आवाजाही प्रभावित रहेगी. जल्द ही प्लान को अंतिम रूप दिया जाएगा.
दोनों टावरों में विस्फोटक लगाने का काम पूरा
ट्विन टावर में विस्फोटक लगाने का काम पूरा हो गया है. इसमें 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया है। टावर सियान (29 मंजिला) और एपेक्स (32 मंजिला) के सभी तलों पर विस्फोटक लगाया जा चुका है. ऊपरी तल से इसकी शुरुआत की गई थी. पहले दिन दोनों टावरों के तीन-तीन तलों में विस्फोटक लगाए गए थे. कंपनी ने गत 22 अगस्त तक विस्फोटक लगाने का काम पूरा कर लिया था.
...लेकिन आरडब्ल्यूए अब भी असंतुष्ट
एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष यूबीएस तेवतिया ने कहा कि सुपरटेक ने पहले 40 पिलर की मरम्मत शुरू की थी. आपत्ति करने के बाद उन्होंने केवल 10 अन्य पिलरों के मरम्मत का वादा किया. उनका कहना है कि यहां के कम से कम 300 पिलरों और कॉलम की मरम्मत होनी चाहिए थी. बिल्डर ने खुद से स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराया और अब उनकी खुद की ऑडिट के आधार पर चिह्नित किए गए पिलरों की ही मरम्मत की जा रही है. उनका कहना है कि यह 50 पिलर तो केवल सैंपल के लिए चिह्नित किए गए थे. इससे ज्यादा की मरम्मत की दरकार है. आरडब्ल्यूए का कहना है कि धूल आदि से बचाने के लिए ट्विन टावर के आसपास के टावरों को जिओ फाइबर टेक्सटाइल से ढ़क दिया गया है. इसका असर महिलाओं, बुजुर्गों, मरीजों आदि पर पड़ रहा है. उस साइड के फ्लैट के लोगों को काफी समस्या हो रही है. लोग खिड़की तक खोलने से परहेज कर रहे हैं.
विस्फोट के बाद संभावित कंपन की जांच रिपोर्ट तैयारः
एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज आरडब्ल्यूए की ओर से ट्विन टावर के नजदीकी टावरों की मजबूती जांचने के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग की गई थी. हालांकि, एडिफिस ने यूके की एक कंपनी से विस्फोट से होने वाले संभावित कंपन को लेकर रिपोर्ट तैयार कराई है. इसमें बताया गया है कि टावर गिरने के बाद अधिकतम कंपन 34 एमएम प्रति सेकेंड का हो सकता है. यह रिपोर्ट भूकंप जोन-5 के तहत 300 एमएम प्रति सेकेंड के कंपन के मानक को आधार बनाकर तैयार की गई है. ऐसे में एडिफिस का कहना है कि स्ट्रक्चरल ऑडिट की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, प्राधिकरण की ओर से दिए गए निर्देश के मुताबिक, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) जांच करने के बाद अपनी सलाह देगा. इसके लिए सीबीआरआई को बिल्डर ने 70 लाख रुपये का भुगतान किया है.
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