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खस्ता हाल में नोएडा पुलिस के थानों और चौकियों के शौचालय

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ लोग इसे लेकर लापरवाह बने हुए हैं. नोएडा के पुलिस के थानों और चौकियों के शौचालयों का हाल बेहाल है. पुलिस गंदगी शौचलयों के प्रयोग के लिए मजबूर हैं.

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खस्ता हाल में नोएडा पुलिस के थानों और चौकियों के शौचालय

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Published : Dec 26, 2021, 11:59 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले औद्योगिक नगरी नोएडा का हाल यह है कि यहां की हाईटेक कही जाने वाली पुलिस बदहाल और गंदे शौचालयों के इस्तेमाल के लिए मजबूर है. यह हाल किसी एक थाने या पुलिस चौकी का नहीं है बल्कि जनपद के किसी भी थाने या पुलिस चौकी में देखा जा सकता है. उच्च अधिकारी थानों के औचक निरीक्षण करने आते हैं पर चंद फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं. किसी ने आज तक इस तरफ ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई, जिसके चलते पुलिस मजबूरी में गंदे शौचालयों का प्रयोग करने को मजबूर है.

गौतम बुद्ध नगर जनपद में 22 थाने हैं जिसमें महिला थाना शामिल है. सभी थानों में करीब 100 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिसमें ज्यादातर पुलिस थानों के बैरक में रहते हैं. बैरक में रहने वाले पुलिसकर्मी थानों में बने शौचालय का प्रयोग करते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब पुलिस थानों के शौचलायों का पड़ताल की तो पता चला कि थानों के शौचालय बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. शौचालय में लगे दरवाजे का हाल यह है कि या तो टूट गए हैं या फिर निकाल कर बगल में रख दिए गए हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुलिसकर्मी इन शौचालयों का प्रयोग कैसे करते होंगे.

खस्ता हाल में नोएडा पुलिस के थानों और चौकियों के शौचालय

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वहीं इस मामले में जब हमने थानों में तैनात पुलिसकर्मियों से बात करने की कोशिश की तो उनके द्वारा कैमरे पर कुछ नहीं बोला गया, लेकिन उन्होंने जानकारी दिया कि शौचालय की सफाई कभी भी किसी थाना प्रभारी या चौकी प्रभारी द्वारा नहीं कराई जाती है. पुलिसकर्मी खुद ही महीने दो महीने में कभी-कभी सफाई कर्मचारी को बिलाकर सफाई करवाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि शौचालय की बदहाली का हाल अधिकारियों के संज्ञान में है फिर भी आज तक किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया.

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गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरी को बने करीब दो साल होने जा रहा है. थाना और पुलिस चौकियों का अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण भी किए जाते हैं और दिशा-निर्देश भी दिये जाते हैं, लेकिन पुलिसकर्मी किस मनोदशा में काम कर रहे हैं, इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है. खासकर स्वच्छता को लेकर बेहतर बर्दी पहनने का निर्देश सभी को देते हैं लेकिन शौचायलों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता.

वहीं कुछ पुलिसकर्मियों ने बताया कि उच्च अधिकारियों के शौचालय पांच सितारा होटल के शौचालय की तरह हैं, लेकिन थानों और चौकियों के शौचालय किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं जाता.

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