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फर्जी डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गैंग का नोएडा पुलिस ने किया भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

नोएडा पुलिस ने रविवार को फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए बी-44 सेक्टर 63 से दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है. ये लोग भोले-भाले लोगों को कम पैसों में विभिन्न कोर्सों की फर्जी डिग्री, अंक तालिका उपलब्ध कराते थे.

फर्जी डिग्री बनाने वाले अन्तर्राज्यीय गैंग का भंडाफोड़
फर्जी डिग्री बनाने वाले अन्तर्राज्यीय गैंग का भंडाफोड़

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Published : Sep 18, 2022, 8:02 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के थाना सेक्टर 63 पुलिस ने रविवार को फर्जी डिग्री बनाने वाले अन्तरराज्यीय गैंग के 2 सदस्यों को बी- 44 सेक्टर 63 नोएडा से गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान आनन्द शेखर पुत्र अखिलेश्वर मिश्रा निवासी थाना विजयनगर जिला गाजियावाद और चिराग शर्मा पुत्र राजेश कुमार निवासी थाना कोतवाली नगर जिला बुलन्दशहर के रूप में हुई है.

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नोएडा पुलिसने उनके कब्जे से 85 फर्जी मार्कशीट व प्रमाण पत्र, 58 लिफाफे फर्जी मार्कशीट, 38 खाली लैटर पैड, 7 खाली अंक तालिका सीट, 8 मुहरें, 14 डेस्कटॉप, 14 सीपीयू, 11 माउस, 12 की बोर्ड, 42 डेस्कटॉप वायर, एक पेपर कटर, एक हेड फोन, एक कलर प्रिन्टर, एक राऊटर, एक वाइ-फाइ कनेक्टर, दो इन्टरनेट स्विच बॉक्स, 33 नोकिया मोबाइल कीपैड, अलग-अलग कंपनियों के 55 सिम कार्ड्स बरामद किये हैं.

पुलिस ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420/467/468/471/34 के तहत मामला दर्ज किया है. इस गैंग का नेटवर्क बेंगलुरु से लेकर नोएडा तक फैला हुआ है. पुलिस अन्य राज्यों में इनके नेटवर्क के बारे में जानकारी करने में लगी हुई है.

फर्जी डिग्री बनाने वाले अन्तर्राज्यीय गैंग का भंडाफोड़


एडीसीपी सेंट्रल ज़ोन साद मिया खान ने बताया कि अभियुक्त बी-44 सेक्टर 63 के दूसरा फ्लोर किराये पर लेकर फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाने का काम करते हैं. ये लोग भोले-भाले लोगों को कम पैसों में विभिन्न कोर्सों की फर्जी डिग्री, अंकतालिका उपलब्ध कराते हैं. ये लोग बेंगलुरु में भी यही काम करते थे. वहां मुकदमा दर्ज होने के बाद वे नोएडा भाग आये थे. ये लोग इंटरनेट के माध्यम से 5,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से एड देते थे.

जो भी इनके एड पर क्लिक करता था उसका नम्बर इनके पास आ जाता था. उसके बाद ये लोग उनके पास कॉल करके विभिन्न कोर्सेज के बारे में जानकारी देते थे तथा भोले-भाले व्यक्तियों से 30-70 हजार रुपए नगद लेकर फर्जी मार्कशीट या डिग्रियां उपलब्ध कराते थे. ये लोग लगभग 20 साल तक पुरानी अंकतालिका या डिग्री देने का भी ठेका ले लेते थे और पैसे लेकर डिग्री उपलब्ध कराते थे.


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