नई दिल्ली\नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में फसल अवशेष ना जलाने के के तहत जिलाधिकारी ने प्रेस वार्ता की. जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने कलैक्ट्रेट सभागार में फसल अवशेष ना जलाने के सम्बंघ में आयोजित प्रेस वार्ता मे जानकारी देते हुए बताया कि एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या अक्टूबर से लगातार बनी हुई है. इसका मुख्य कारण धान की पराली का किसानों द्वारा जलाया जाना है.
कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग नहीं करते
गौतमबुद्ध नगर में बासमती धान की खेती की जाती है. जिसकी कटाई मजदूरों द्वारा हाथ से की जाती है. यहां पर कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किसानों द्वारा नहीं किया जाता है. किसान धान के पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में करते हैं.
फसल अवशेष होता है कंपोस्ट में परिवर्तित
भारत सरकार के जैविक खेती केंद्र द्वारा एक ऐसा केमिकल तैयार किया गया है. जिसको फसल अवशेषों पर छिड़कने से वे शीघ्र ही कंपोस्ट में परिवर्तित हो जाता है. इसके साथ-साथ भारत सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए 40 से 80% तक विभिन्न कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टर पर अनुदान दिया जा रहा है. जिससे किसान इस प्रणाली का प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं.