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उद्योगों पर कोरोना की मार, घाटे से नहीं ऊबर पा रही कंपनियां

कोरोना का असर कम होते ही शासन-प्रशासन ने पूरी तरह अनलॉक कर दिया है. जिसके चलते तमाम बंद बड़े उद्योग फिर से चलने लगे और काम छोड़कर जो कर्मचारी चले गए थे, वह वापस भी आ गए हैं. लेकिन उद्योग अपनी रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं.

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Published : Aug 20, 2021, 1:44 PM IST

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उद्योगों पर कोरोना की मार

नई दिल्ली/नोएडा:पिछले साल से कोरोना का प्रभाव हर क्षेत्र में पड़ा है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर, महंगाई, रोजगार हो या लघु और सुक्ष्म उद्योग हो सभी क्षेत्र पर कोरोना की मार पड़ी है. कोरोना के चलते कई लोगों की नौकरियां गईं तो कई लोगों के व्यापार बंद हो गये. लोग दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए. ऐसा ही कुछ देखने को मिला उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले नोएडा में. नोएडा में करीब 20 हजार लघु और सुक्ष्म उद्योग हैं जो अलनॉक के बाद धीरे-धीरे खुलने तो शुरू हुए हैं लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

दरअसल, सरकार द्वारा पूरी तरह से अनलॉक करने के बाद भी उद्योग अपनी रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं. आज भी वह मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और आर्थिक तंगी उन्हें परेशान कर रही हैं. यह बातें MSME इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष और एक कंपनी के मालिक सुरेंद्र नहाटा द्वारा कही गई.

उद्योगों पर कोरोना की मार.

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ईटीवी भारत से खास बातचीत में कंपनी मालिक और MSME इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा ने कहा कि जिस तरह से बिजनेस लॉकडाउन और कोरोना काल से पहले चल रहा था. आज उस स्तर पर नहीं चल रहा है और आर्थिक स्थिति करीब-करीब सभी लघु एवं सुक्ष्म उद्योग की स्थिति यह है कि उनको अभी सालों लग जाएंगे अपने उद्योग को बढ़ाने में. क्योंकि वह आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके हैं. माल बनने के बावजूद भी सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पा रही है. तो वहीं कच्चे माल की सप्लाई भी बड़ी मुश्किल से हो रही है. जिसके चलते माल बिक नहीं रहा और कंपनी मालिकों को आमदनी नहीं हो रही और वह अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ हो जा रहे हैं.

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सुरेंद्र नहाटा का कहना है कि कंपनी को फिर से रफ्तार देना और अपने उद्योग को आगे बढ़ाने में उद्योग चलाने वाले लोगों को अभी काफी लंबा समय लग जाएगा. सभी के द्वारा अपने उद्योग को बढ़ाने की कोशिश और मेहनत की जा रही है लेकिन जिस स्तर पर उद्योग को बढ़ना चाहिए उस स्तर पर अभी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. सरकार से उद्योग को रफ्तार देने के लिए कई बार मदद की गुहार लगाई गई पर उस स्तर पर कोई नहीं मदद मिली, जिस स्तर पर मिलनी चाहिए. सरकार उद्योग को बढ़ाने के लिए सोच रही है और कदम भी उठा रही है पर उद्योग अभी सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो उद्योग चलाने के लिए कर्ज देने की बात कही गई उसमें कंपनी मालिक कर्ज लेकर एक और बोझ के नीचे दब गया है, क्योंकि उस कर्ज को चुकाना भी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उद्योग नहीं चलने के बावजूद मिनिमम बिजली का बिल देना पड़ा जो एक बड़े भार के रूप में कंपनी मालिकों पर पड़ा.

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MSME इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष और स्विच एंड गेयर कंपनी के मालिक सुरेंद्र नहाटा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कंपनियों में जहां 10 मजदूर काम कर रहे थे. वहीं अब मजदूरों की संख्या भी काफी कम है. क्योंकि उन्हें वेतन देना कंपनी मालिकों के लिए भारी पड़ रहा है. जब तक आमदनी कंपनी मालिकों की नहीं बढ़ेगी तब तक वह अपने यहां मजदूरों की संख्या नहीं बढ़ा पाएंगे. वहीं बने हुए माल की सप्लाई बेहतर तरीके से नहीं हो पा रही. जिसे बढ़ाने का प्रयास कंपनी मालिकों द्वारा किया जा रहा है, ताकि उन्हें आमदनी हो और अपने कर्मचारियों का वेतन दे सकें.

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