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नोएडा: मुआवजे में 89 करोड़ का घोटाला, CEO ने अधिकरी को सस्पेंड कर जांच की तेज

अनियमितताओं की शिकायत पर नोएडा प्राधिकरण की CEO ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारी कर्मचारी और संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया है. प्राधिकरण को 12 प्रकरणों में किए गए भुगतान में 89 करोड़ 30 लाख 98 हजार 432 रुपये की घोर अनियमितताओं का पता चला है.

Noida Authority Assistant Law Officer Suspended
नोएडा प्राधिकरण

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Published : Feb 25, 2021, 11:59 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा:किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने में अनियमितता को लेकर नोएडा प्राधिकरण की CEO ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारी कर्मचारी और संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण में सहायक विधि अधिकारी के पद पर तैनात वीरेंद्र नागर को सस्पेंड किया है. नोएडा प्राधिकरण ने माना कि वित्तीय अनियमितता पाई गई है. 89 करोड़ 30 लाख से ज्यादा रुपयों का भुगतान किया गया है. वित्तीय अनियमितता का मामला साल 2015-16 के दौरान का है.

अनियमितताओं की शिकायत पर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सख्त


गेझा तिलपताबाद गांव का प्रकरण

अधिकारियों के मुताबिक के गेझा तिलपताबाद के काश्तकार भुल्लड़ के खसरा संख्या 717 और 690 का अधिग्रहण किया गया था. वार्षिक दर से असंतुष्ट होने पर मूल काश्तकार ने जिला जज (गाजियाबाद) के समक्ष वाद दायर किया. न्यायालय ने 16.61 रुपये प्रति वर्ग गज की दर के आदेश 28 मई, 1993 को पारित किए.

इसके अनुपालन में एडीएम कार्यालय में नोएडा की ओर से प्रतिकार की राशि जमा की गई. इस आदेश के विरोध में नोएडा की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई जो साल 2012 में खारिज हो गई.

12 प्रकरण में मिली वित्तीय अनियमितता
बता दें अनियमितताओं की शिकायत पर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने संज्ञान में लिया. समझौते की सभी 15 पत्रावलियां का गहनता से जब परीक्षण करने पर 12 प्रकरणों में किए गए भुगतान 89 करोड़ 30 लाख 98 हजार 432 रुपये की घोर अनियमितताओं का पता चला. इस पर प्रकरण वार वसूली की प्रक्रिया शुरू करते हुए नोटिस जारी करने पर धनराशि वापस जमा न करने की दशा में कलेक्ट्रेट गौतमबुद्ध नगर को 9 प्रकरणों में आरसी जारी की जा चुकी है.


ऐसी खुली पोल

मूल काश्तकार भुल्लड़ की मृत्यु को दर्शाते हुए शकुंतला ने उच्च न्यायालय में एक डिफेक्टिव प्रथम अपील जारी की. सुकांत जिसका नाम प्रथम अपील में शकुंतला दर्शाया गया, के नाम से सीईओ के समक्ष 1 सितंबर 2015 को एक प्राथना पत्र दिया गया. इसमें गेझा तिलपताबाद बाद के अन्य प्रकरणों में 297 रुपये प्रति वर्ग गज के आदेश हाईकोर्ट के अनुसार उन्हें भी इस दर से मुआवजा मिले तो वह कोर्ट नहीं जाएंगे.

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एटीएम द्वारा जारी वारिसान प्रमाण पत्र के आधार पर संपूर्ण रखने पर मूल काश्तकार भुल्लर के स्थान पर तथाकथित उनकी भतीजी सुकांत के पक्ष में आयकर सहित 9 करोड़ 17 हज़ार 12 हजार 426 रुपये का भुगतान किया गया. साल 2018 में इस डिफेक्टिव अपील में पुनः रिकॉल प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट में दाखिल किया गया कि उन्हें 449 रुपये प्रति वर्ग गज के अनुसार मुआवजा दिलाया जाए. इसके बाद पता लगा कि जिन सुकांत को मुआवजा मिला वह इसके हकदार ही नहीं थी.अनियमितताओं की शिकायत पर सीईओ ने 10 जून, 2020 को शिकायती पत्र में लिखे तथ्यों का परीक्षण कर संबंधित अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए हैं.

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