नई दिल्ली/नोएडा:किसानों को अतिरिक्त मुआवजा बांटने में अनियमितता को लेकर नोएडा प्राधिकरण की CEO ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारी कर्मचारी और संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण में सहायक विधि अधिकारी के पद पर तैनात वीरेंद्र नागर को सस्पेंड किया है. नोएडा प्राधिकरण ने माना कि वित्तीय अनियमितता पाई गई है. 89 करोड़ 30 लाख से ज्यादा रुपयों का भुगतान किया गया है. वित्तीय अनियमितता का मामला साल 2015-16 के दौरान का है.
गेझा तिलपताबाद गांव का प्रकरण
अधिकारियों के मुताबिक के गेझा तिलपताबाद के काश्तकार भुल्लड़ के खसरा संख्या 717 और 690 का अधिग्रहण किया गया था. वार्षिक दर से असंतुष्ट होने पर मूल काश्तकार ने जिला जज (गाजियाबाद) के समक्ष वाद दायर किया. न्यायालय ने 16.61 रुपये प्रति वर्ग गज की दर के आदेश 28 मई, 1993 को पारित किए.
इसके अनुपालन में एडीएम कार्यालय में नोएडा की ओर से प्रतिकार की राशि जमा की गई. इस आदेश के विरोध में नोएडा की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई जो साल 2012 में खारिज हो गई.
12 प्रकरण में मिली वित्तीय अनियमितता
बता दें अनियमितताओं की शिकायत पर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने संज्ञान में लिया. समझौते की सभी 15 पत्रावलियां का गहनता से जब परीक्षण करने पर 12 प्रकरणों में किए गए भुगतान 89 करोड़ 30 लाख 98 हजार 432 रुपये की घोर अनियमितताओं का पता चला. इस पर प्रकरण वार वसूली की प्रक्रिया शुरू करते हुए नोटिस जारी करने पर धनराशि वापस जमा न करने की दशा में कलेक्ट्रेट गौतमबुद्ध नगर को 9 प्रकरणों में आरसी जारी की जा चुकी है.
ऐसी खुली पोल