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नोएडा: कमिशनरी के बाद नगर निगम की कवायद तेज, CM की सांकेतिक सहमति

गौतमबुद्ध नगर जिले में कमिश्नरी लागू होने का बाद से नगर निगम की कवायद तेज हो गई है. ऐसे में नोएडा विधायक, जेवर विधायक और दादरी विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नगर निगम बनने के पक्ष में पत्र भेज दिए है.

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Published : Feb 3, 2020, 11:27 AM IST

Municipal corporation's exercise accelerated after commissionerate
कमिशनरेट के बाद नगर निगम की कवायद तेज़

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में कमिशनरी लागू होने के बाद से शहरवासियों के जहन में एक सवाल बार बार उठ रहा है कि क्या कमिश्नरी लागू होने के बाद शहर नगर निगम भी बनेगा? बता दें कि नोएडा, दादरी और जेवर विधानसभा के तीनों विधायकों ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास प्लान तैयार कर भेज दिया है. जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने नगर निगम बनाने के पक्ष में राय प्रशासन को भेज दी है.

कमिशनरेट के बाद नगर निगम की कवायद तेज़

'जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर CM सहमत'
जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रेटर नोएडा शहर में मूलभूत सुविधाएं बढ़ीं हैं. शहर के लोगों के ज़िले के तीनों विधायकों ने अपना पक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखा था. विकास, इंडस्ट्राइलाइजेशन, विकास और शहर बसाने का काम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण करें. लेकिन मूलभूत सुविधाएं बढ़ गई हैं ऐसे में नगर निगम की तर्ज पर विकास हो ताकि आवाम की आवाज सही मंच तक पहुंच सके. जनप्रतिनिधियों के सुझाव पर मुख्यमंत्री सहमत हैं. शहर के बेहतर विकास के लिए क्या विकल्प हो सकता है यह निर्णय अंतिम चरणों पर है. उम्मीद है कि जल्द लागू कर दिया जाएगा.

'जल्द लागू होगी नगर निगम प्रणाली'
दादरी विधायक तेजपाल नागर ने बताया कि नोएडा, दादरी और जेवर के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने नगर निगम बनाने की मांग रखी है. उन्होंने कहा कि नगर निगम का होना इसलिए जरूरी है क्योंकि कई इलाके ऐसे हैं जो विकास से वंचित हैं. विधायक तेजपाल नागर ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से भी नगर निगम के पक्ष में रिपोर्ट सीएम ऑफिस जा चुकी है. उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही नगर निगम प्रणाली लागू होगी.

'तीनों प्राधिकरण कर रहे विरोध'
बता दें कि नोएडा प्राधिकरण, और यमुना प्राधिकरण ने नगर निगम बनने का विरोध किया है लेकिन जनप्रतिनिधियों का साफ तौर पर कहना है कि तीनों अथॉरिटी कर्ज में डूबी है इससे विकास लगभग ठप हो चुका है कई गांव ऐसे हैं जो अथॉरिटी के क्षेत्र में है लेकिन वहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं.

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