नई दिल्ली/नोएडा :उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट कहां जाने वाला नोएडा के सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल की हालत बदहाल है. कई बार सरकार ने अस्पताल का नाम बदला, लेकिन वहां सुविधाएं जस की तस बनी रहीं. अस्पताल को करीब 15 सौ करोड़ की लागत से बनाया गया है, लेकिन मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं भगवान भरोसे हैं.
अब इसी अस्पताल से जुड़ा एक नया मामला सामने आया है, जिसमें रखरखाव के अभाव में अस्पताल की सभी लिफ्ट खराब हो गई हैं. इस वजह से गर्भवती महिलाओं से लेकर सर्जरी के मरीज और गंभीर मरीज जोखिम लेकर एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने को मजबूर हैं. अस्पताल प्रशासन सब कुछ देखकर भी अंधी है, जानकारी मांगने पर कोई जवाब नहीं दे रहा है.
15 सौ करोड़ की लागत से बने अस्पताल की लिफ्ट बनी सफेद हाथी पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट नोएडा के सेक्टर 30 जिला अस्पताल को करीब 15 सौ करोड़ की लागत से बनाया गया है, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2011 में किया था, जिसमें अस्पताल के निर्माण के साथ ही सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया गया था, लेकिन लगातार कई सरकारें आने के बाद भी किसी ने अस्पताल की तरफ ध्यान नहीं दिया.
मौजूदा हालात ऐसे हो गए हैं कि मरीजों और परिचारकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने के लिए तीन लिफ्ट लगाई गई हैं. लेकिन आज के समय में तीनों ही लिफ्ट खराब चल रही है. जिसके चलते मरीज व्हीलचेयर रैंप के रास्ते एक मंजिल से दूसरे मंजिल तक जा रहे हैं. जो देखा जाए तो जोखिम लेकर जाना है. खासकर उनके लिए जो या तो गर्भवती महिलाएं हैं या ऑपरेशन कराने वाले मरीज है. जिला अस्पताल प्रशासन मरीजों को हो रही असुविधा को प्रतिदिन देखता है लेकिन वह भी आंख मूंदे हुए हैं. बता दें कि जिला अस्पताल का मेंटेनेंस 2018 तक नोएडा प्राधिकरण द्वारा किया गया, लेकिन तत्कालीन सीएमएस अजय अग्रवाल द्वारा अस्पताल का मेंटेनेंस अपने हाथों में ले लिया गया.
ईटीवी भारत टीम ने जब अस्पताल में आए तीमारदारों से बात की तो उनका कहना था कि गर्भवती महिलाओं को एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक जाने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. हम अपने मरीज को बा मुश्किल पहली मंजिल तक पहुंचा पाते हैं. वही कुछ ऐसे भी तीमागदार थे, जिनका कहना है कि व्हील चेयर पर हम अपने मरीज को ले गए, जिसमें रैंप पर गिरने की पूरी संभावना बनी हुई थी. इस संबंध में अस्पताल की सीएमएस से हम लोगों द्वारा कहा भी गया पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया.