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Noida: कोविड-19 के दौर में बेजुबानों को सहारा दे रही HSA, क्लीनिक में हो रहा इलाज

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Published : Jun 1, 2021, 9:23 PM IST

राजधानी दिल्ली (Delhi) सटे नोएडा (Noida) में एचएसए यानी हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल (House of Stray Animals) संस्था कोरोना में बेसहारा हुए बेजुबान जानवरों को आश्रय देने का काम कर रही है. संस्था के संचालक संजय महापात्रा (Sanjay Mahapatra) उन्हें खाना खिला रहे हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हुए जानवरों का इलाज भी कर रहे हैं.

hsa organization providing shelter to destitute animals in noida
जानवरों का क्लीनिक

नई दिल्ली/नोएडा:कोविड-19 (COVID-19) महामारी में देखा जाए तो हर इंसान हर तरफ से किसी न किसी परेशानी का सामना कर रहा है, पर उसकी मदद के लिए लोग आगे भी आ रहे हैं. नोएडा की सड़कों और गलियों में घूमने वाले बेजुबान जानवरों (Wild animal) की आवाज और दर्द को कोई सुनने वाला नहीं है.

सड़कों और गलियों में घूमने वाले डॉगी को संस्था दोनों वक्त का खाना देती है.

इनके दर्द को सुनने के लिए आगे आई संस्था हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल (House of Stray Animals) जो लाचार और बीमार से लेकर घायल तक के जानवरों को अपने क्लीनिक में लाकर इलाज किया जाता है. उन्हें खाना देने का काम किया जा रहा है. यह कोई एक दिन का काम नहीं बल्कि कोरोना (Corona) के 1 साल से ऊपर के कार्यकाल से लगातार किया जा रहा है.

संस्था के संचालक संजय महापात्रा (Sanjay Mahapatra) ने ईटीवी भारत से कहा कि यह वह जानवर हैं, जो इंसानों पर आश्रित हैं, पर कोरोना (Corona) के समय में इंसान खुद आश्रय खोज रहा है तो इनको कहां तक आश्रय देगा. इस उद्देश्य से बेजुबान जानवरों (Wild animal) को खाने से लेकर इलाज तक की व्यवस्था नोएडा के सेक्टर 54 (Noida Sector 54) में पिछले एक साल से दी जा रही है.


नोएडा के सेक्टर 54 (Noida Sector 54) स्थित जंगल के बाहर हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स (House of Stray Animals) नाम की एक संस्था ने क्लीनिक खोला है. यहां उन जानवरों को सहारा दिया जा रहा है, जो कोविड-19 (COVID-19) में सड़कों पर लावारिस छोड़ दिए गए या उनके मालिक उनको खो चुके हैं या फिर जानवर (Wild animal) के मालिक कोरोना के शिकार हो गए हैं.

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ऐसे जानवरों को हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल संस्था के संचालक संजय महापात्रा ने सहारा दिया है. संजय महापात्रा का कहना है कि सड़कों और गलियों में घूमने वाले डॉगी को संस्था दोनों वक्त का खाना देती, या यूं कहें कि इनके लिए लंगर चलाया जाता है. जिसमें सैकड़ों की संख्या में जानवर जमा होकर समय से भोजन प्राप्त करते हैं.

खाने से लेकर इलाज तक का खर्च संस्था उठाती है


महापात्रा का यह भी कहना है कि इस कोरोना के दौर में इंसान अपनी भूख मिटाने के लिए यहां-वहां घूम रहा है, पर बेजुबान अपनी भूख मिटाने के लिए किसी से कह भी नहीं पा रहा है. जिसे दर-दर भटकना पड़ रहा है. ऐसे जानवरों की जहां मदद की जा रही है और उनका इलाज भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि खाने से लेकर इलाज तक का खर्च संस्था द्वारा खुद उठाया जाता है. इसमें किसी व्यक्ति से या सरकार से किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.


कुत्तों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा

बेजुबान जानवरों की मदद के लिए 24 घंटे नोएडा में काम करने वाले हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल (House of Stray Animals) संस्था के संचालक संजय महापात्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि नोएडा कि इंडस्ट्रियल, कमर्शियल (commercial) और होटलों और ढाबों के आसपास रहने वाले जानवर जो बचे हुए खाने को खाकर अपना जीवन चलाते हैं. ऐसे जानवरों को चिन्हित कर उन्हें खाना देने का काम किया जा रहा है, क्योंकि कोविड-19 (COVID-19)के चलते लॉकडाउन लगा और सभी संस्थान बंद हो चुके हैं. वहां आसपास रहने वाले जानवरों को खासकर कुत्तों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, भोजन के लिए.

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प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में स्ट्रीट डॉग के लिए हमारे यहां लंगर में खाना बनता है और जगह-जगह पर ले जाकर देने का काम किया जाता है, काफी संख्या में डॉगी और अन्य जानवर क्लीनिक पर भी आते हैं और उन्हें यहां पर भी खाना दिया जाता है.

-संजय महापात्रा, संचालक, हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल

इस कार्य में नोएडा प्राधिकरण या किसी सरकारी अमले द्वारा कोई मदद नहीं की जाती है. दोस्त, मित्रों और स्वयं की आर्थिक मदद से यह काम किया जा रहा है. बेजुबानों को इस कोरोना के दौर में दो वक्त का भोजन और उनका इलाज कर के खुशी होती है.

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