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नोएडा प्राधिकरण की कथनी और करनी में अंतर, वीडियो में देखिए ऐसा हम क्यों कह रहे हैं

नोएडा में जलभराव की समस्या ने नोएडा विकास प्राधिकरण की पोल खोलकर रख दी है. आलम ये है कि लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आवाजाही में लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. गाड़ियां रास्ते में खराब हो रही हैं और सिस्टम है कि ट्वीट करके वाहवाही लूट रहा है.

जलभराव में फंसी कार
जलभराव में फंसी कार

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Published : Aug 22, 2021, 8:51 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा:औद्योगिक नगरी और उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा में हर स्थिति को बेहतर बनाने का जिम्मा अगर देखा जाए तो नोएडा प्राधिकरण के ऊपर है. प्राधिकरण के कार्यों को अगर देखें तो कथनी और करनी में अंतर दिखाई देता है. बारिश ने नोएडा प्राधिकरण की पोल खोलकर रख दी है.

नोएडा प्राधिकरण की CEO ने ट्वीट करके जिन जगहों को नोएडा में बताया था कि बरसात के मौसम में वहां पानी जमा नहीं होगा. वहां के सूरत-ए-हाल पूरी तरह से खराब हैं. दावा किया गया था कि करोड़ों रुपये की लागत से पंप लगाकर पानी हटाया जाएगा, लेकिन दावा, दावा ही रह गया. नोएडा की सड़कों पर भारी जलभराव है. लोगों की गाड़ियां पानी में फंसकर खराब हो रही हैं, जिसके चलते जाम से लोगों को दो-चार होना पड़ रहा है. ट्रैफिक विभाग को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

बरसात से पूर्व नोएडा में जितने भी सीवर और नाले हैं, उन्हें साफ करने का काम नोएडा प्राधिकरण करता है. इस वर्ष बरसात से पूर्व प्राधिकरण ने कहां पर सीवर और नालों की सफाई की यह वही बता सकते हैं. प्राधिकरण के सीईओ रितु माहेश्वरी ने 21 जुलाई को ट्वीट करके नोएडा वासियों को आश्वस्त किया था कि दलित प्रेरणा स्थल के पास 74 लाख की लागत से निर्मित समरसेबल पंप और सेक्टर 44 महामाया क्लोवर लीफ के पास 49.98 लाख की लागत से निर्मित नालियों से बारिश के दिनों जलभराव की समस्या में कमी आई है. नोएडा में पिछले दिनों में हुई मूसलाधार बारिश ने प्राधिकरण के दावों की पोल खोल कर रख दी.

ट्वीट
जलभराव में फंसी कार


नोएडा में शुक्रवार से रविवार दोपहर तक देखा जाए तो अच्छी खासी बारिश हुई है. चाहे वह दिन हो या रात बारिश में नोएडा वासी किसी प्रकार की वाटर लॉगिंग या जलभराव से परेशान नहीं होंगे. इसका दवा प्राधिकरण द्वारा पहले किया जा चुका था. बारिश ने प्राधिकरण के सारे दावों को धता बताते हुए जमीनी सच्चाई दिखा दी है. जिन जगहों को प्राधिकरण ने चिन्हित कर बताया था कि वहां पर पानी जमा नहीं होगा और अगर हुआ तो पानी निकाल दिया जाएगा. उन्हीं जगहों पर पानी भी जमा हुआ और लोग परेशानी से दो-चार भी हुए. प्राधिकरण के दावे कहां तक सच हैं, इसे देखकर कहा जा सकता है कि कागज पर सारे दावे किए गए पर जमीन पर उतरे नहीं.

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