नई दिल्ली/नोएडा :नोएडा शहर को उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है, लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है, जिसका जीता-जागता उदाहरण मुख्य चिकित्सा कार्यालय को जिला प्रशासन की तरफ से दिए गए दो शव वाहन हैं. इन वाहनों के मेंटेनेंस का जिम्मा यहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय का होता है. एक शव वाहन जिला अस्पताल पर रखा जाता है, तो दूसरा वाहन मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास, लेकिन आज दोनों ही शव वाहनों की हालत भगवान भरोसे है.
करीब ढाई साल पहले शासन ने गौतम बुद्ध नगर स्वास्थ्य विभाग को दो एंबुलेंस शव वाहन के रूप में दिया था. एक शव वाहन जिला अस्पताल से संचालित हुआ और दूसरा मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन रखा गया. शव वाहन का प्रयोग आम जनता के लिए निशुल्क रूप से देने का काम स्वास्थ विभाग के द्वारा किया जाता है.
शव वाहन खड़े-खड़े सड़ रहे हैं. कोरोना काल में प्रतिदिन दर्जनों कोविड से मरने वाले लोगों को उनके घर या अस्पताल से ले जाकर दाह संस्कार स्थल पर छोड़ा जाता था. इसके अतिरिक्त जिनकी भी मौत सरकारी अस्पताल में हुई उन्हें उचित स्थान पर ले जाने का काम सरकारी शव वाहन ही करते थे, लेकिन पिछले एक महीने से जिले के दोनों शव वाहन डीजल के अभाव में खड़े हैं. शव वाहन के चालकों द्वारा इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया, जिसपर उनका कहना है कि तेल नहीं है तो गाड़ी खड़ी कर दो, लेकिन उनके द्वारा तेल दिए जाने की कोई बात नहीं कही गई, जिसके चलते दोनों शव वाहन धूप और बरसात झेलते हुए जिला अस्पताल के बाहर खड़े हैं.
वहीं एक शव वाहन के सभी टायर पुराने होने के चलते कुछ टायर पंचर की स्थिति में भी हैं. यह वाहन कब चलेंगे इसका जवाब किसी भी अधिकारी ने नहीं दिया है. जिला अस्पताल के बाहर खड़ी दोनों शव वाहन की स्थिति देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बेहतर होगी. वहीं सूत्रों की मानें तो कोरोना के दूसरे फेस में जितनी भी गाड़ियां स्वास्थ्य विभाग ने प्रयोग में लगाई थी और उन गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल पेट्रोल पंप से भरवाया गया है उसका करीब 20 लाख रुपये भुगतान नहीं किया गया है.
जिला अस्पताल सेक्टर 30 के बाहर खड़े शव वाहन में से एक शव वाहन के चालक से जब ईटीवी भारत ने खास बातचीत की तो चालक संतोष ने बताया कि एक शव वाहन के चारों टायर पुराने और घिस जाने के चलते चलने की स्थिति में नहीं है. वहीं उसके कुछ टायर भी पंचर हो गए हैं. जिसको बनवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई पैसा नहीं दिया गया है.
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पिछले 1 महीने से मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय ने मेंटेनेंस और डीजल का पैसा नहीं दिया, जिसके चलते दोनों गाड़ियां खड़ी कर दी गई हैं. चालक संतोष ने बताया कि डीजल न होने की जानकारी उच्च अधिकारियों को कई बार दी जा चुकी है, लेकिन उनकी तरफ से सिर्फ इतना जवाब दिया गया है कि 'जैसे खड़ी है वैसे ही रहने दो' लेकिन डीजल दिए जाने की बात किसी ने नहीं कही है. जिसके चलते किसी भी पब्लिक को महीने भर से शव वाहन की सुविधा नहीं मिल पा रही है.
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