नई दिल्ली/नोएडाः बहुत जल्द गंगाजल परियोजना पूरी हो जाएगी. शुक्रवार को एक अहम का हो गया. पहली बार जैतपुर स्थित मास्टर रिजर्व वायर तक गंगाजल पहुंच गया है. बड़ी बात यह रही कि जैतपुर मास्टर रिजर्व वायर तक गंगाजल पहुंचाने में कहीं भी पाइप के लीकेज की दिक्कत नहीं हुई है.
प्राधिकरण के सीईओ सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि 85 क्यूसेक गंगाजल परियोजना सभी ग्रेटर नोएडावासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ग्रेनोवासियों के घरों में गंगाजल मिश्रित जलापूर्ति होगी. सप्लाई के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भरता कम हो जाएगी. इससे भूजल की बचत होगी. भूजल स्तर में सुधार होगा. प्राधिकरण की टीम इस प्रोजेक्ट को समय से पूरा कर ग्रेनोवासियों के घरों तक गंगाजल पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है.
क्या है गंगा जल परियोजना
दरअसल, अपर गंगा कैनाल (हापुड़) से 85 क्यूसेक गंगाजल लाने का प्रस्ताव सबसे पहले 2005 में बना. 2012 से 2014 के बीच ग्रेटर नोएडा परिक्षेत्र में जलापूर्ति नेटवर्क तैयार कर लिया गया. 2017 के बाद देहरा से जैतपुर तक 23 किलोमीटर की पाइपलाइन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व देहरा में इंटेक (प्रारंभिरक ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के कार्य शुरू किए. देहरा से 7.4 किलोमीटर की पाइप लाइन सिंचाई विभाग की जमीन पर की जानी थी, जिसको प्राधिकरण ने 2018 तक पूरा कर लिया. उसके आगे एनटीपीसी से जमीन लेकर पाइपलाइन बिछाई गई.
पल्ला के पास दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के नीचे से पाइपलाइन डालने का काम हुआ. ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के नीचे से पाइपलाइन को पार करते हुए दिसंबर 2021 में गंगाजल पल्ला के डब्ल्यूटीपी तक पहुंच गया. इस बीच कुछ किसान पल्ला में बने डब्ल्यूटीपी पर धरने पर बैठ गए, जिसके चलते काम रुक गया. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह के निर्देश पर एसीईओ अदिति सिंह ने किसानों से वार्ता कर एक जुलाई को धरना खत्म कराया और फिर इस परियोजना पर आगे का काम शुरू हुआ.