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पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सरकार की अनुमति, लेकिन एक सवारी के नियम से ऑटो चालक परेशान

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Published : May 20, 2020, 11:10 PM IST

दिल्ली में लॉकडाउन 4 में दिल्ली सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ऑटो चलाए जाने की इजाजत दे दी है, लेकिन एक सवारी के नियम से ऑटो चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली में अलग-अलग ऑटो चालकों से बात की.

It is difficult to drive an auto with a ride in Delhi
दिल्ली में एक सवारी के साथ ऑटो चलाना हो रहा मुश्किल

नई दिल्ली: राजधानी में लॉकडाउन के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ऑटो चलाए जाने की अनुमति सरकार की तरफ से ऑटो चलाए जाने की अनुमति दी गई है. दिल्ली सरकार की तरफ से लॉकडाउन 4 में यह रियायत दी गई है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ऑटो ई-रिक्शा एक सवारी के साथ चलाए जा सकते हैं. लेकिन ऑटो चालक इस एक सवारी के नियम से परेशान होते हुए नजर आ रहे हैं. और एक सवारी नहीं तो दो सवारी के साथ भी ऑटो चला रहे हैं.

दिल्ली में एक सवारी के साथ ऑटो चलाना हो रहा मुश्किल
एक सवारी के साथ ऑटो चलाना हो रहा मुश्किल

क्या है ऑटो चालकों की यह परेशानी और क्यों मनाही के बाद भी ऑटो चालक एक से अधिक सवारियों को बैठाकर ऑटो चला रहे हैं. यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली में अलग-अलग ऑटो चालकों से बात की. ऑटो चालक विनोद कुमार ने बताया सरकार की तरफ से ऑटो चलाए जाने की जो रियायत दी गई है. उसके बाद हम ऑटो चला रहे हैं, लेकिन काम बिल्कुल नहीं चल रहा है. सड़कों पर लोग ही नहीं है और एक सवारी मिलना कई बार बहुत मुश्किल भी हो रहा है. ऐसे में यदि एक ही परिवार के 2 लोगों की सवारी हमें मिलती है, तो हम दो लोगों को भी ऑटो में बैठा रहे हैं.

खुद ही कर रहे ऑटो को सैनिटाइज

इस दौरान कई ऑटो चालकों ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर हम पूरी सावधानी भी बरत रहे हैं. यहां तक की ऑटो को सैनिटाइज करने के लिए खुद ही स्प्रे खरीद कर सैनिटाइज किया जा रहा है. किसी भी पेट्रोल पंप या डिपो पर फिलहाल ऑटो को सैनिटाइज नहीं किया जा रहा.


100 या 200 रुपए की ही कमाई हो रही

कई ऑटो चालकों से बात करने पर उनका कहना था कि कई बार एक सवारी बैठने के लिए राजी नहीं होती है. यदि एक ही परिवार के 2 लोग या तीन लोग किसी जरूरी काम के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो वह 3 लोग अलग-अलग तीन ऑटो नहीं कर सकते. इसीलिए वह ऑटो में नहीं बैठते और सिंगल सवारी का ज्यादा किराया देने से बेहतर वह लोग टैक्सी कर चले जाते हैं. ऐसे में काम बिल्कुल मंदा है. पूरे दिन में जहां पहले हजार या दो हजार की कमाई होती थी, वह अब 100 या 200 रुपये की रह गई है.

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